राजसमंद, । धर्मनगरी चारभुजा में जलझुलनी एकादशी पर गुरुवार को मेवाड़ के प्रसिद्ध धार्मिक लक्खी मेले में श्रद्धा का ज्वार उमड़ पड़ा। धर्मनगरी छोगाला छेल के जयकारों से गूंजती रही। इस अवसर पर भगवान चारभुजानाथ की पूरे ठाठ-बाठ से शोभायात्रा निकाली गई तथा भगवान को परम्परागत तरीके से दूधतलाई में पवित्र स्नान कराया गया।
भगवान के दर्शनार्थ लोगों का सैलाब सुबह चार बजे से ही मंदिर परिसर में उमडऩा शुरू हो गया। सुबह पांच बजे भगवान चारभुजा के मंगला आरती के दर्शन खुले जो एक घंटे तक रहे। इसके बाद साढ़े आठ बजे से ग्यारह बजे तक भी दर्शन खुले रहे इसके साथ ही मंदिर परिसर में पूजारीगण शोभायात्रा के लिए भगवान को श्रृंगारित करने में जुटे रहे। परम्परानुसार भगवान चतुर्भुज की बाल स्वरूप प्रतिमा को वस्त्र एवं आभुषणों का श्रृंगार धराने के बाद स्वर्ण पालकी में बिराजित किया गया। इस दौरान मंदिर चौक में हजारों की तादाद में भक्तजन जमा हो गए जो चारभुजानाथ के गगनभेदी जयकारों के साथ नाच गाकर असीम हर्ष को प्रदर्शित कर रहे थे। सभी गुलाल से सरोबार होकर भक्तिभाव में लीन दिखाई दिए। सभी की निगाहें मंदिर द्वार पर टिकी थी कारण उन्हें भगवान की पालकी के आने का इंतजार था। पालकी के आने का ज्यों ज्यों समय नजदीक आता गया। श्रद्धालुओं की उत्सुकता द्विगुणित होती गई। ठीक पौने बारह बजे मंदिर से पूजारीगण बाहर आए तो उन्हें पालकी के आने का आभास हो गया। दर्शनों की उत्सुकता से वशीभुत भक्तजनों ने ‘छोगाला छेल की जै,’ ‘हाथी घोड़ा पालकी, जै कन्हैयालाल की’ आदि के जयकारे लगाए। जयकारों के समवेत स्वर से समूचा परिवेश गुंजायमान हो उठा। कुछ ही पल बाद भगवान की स्वर्ण पालकी मंदिर की सीढिय़ों से होते हुए चौक की ओर बढ़ती दिखी तो वहां मौजूद हरेक भक्तजन भगवान चतरर्भुज के स्वरूप को एक पल निहारने के लिए आतुर हो उठा किसी ने निकट से निहार कर स्वयं को धन्य माना तो किसी ने भीड़ की वजह से दूर से नतमस्तक किया। इस बीच शोभायात्रा की रवानगी हो गई। शोभायात्रा में सबसे आगे निवाण एवं ऊंट पर नंगारखाना, गजराज, अश्व एवं प्रभु के लिए रजत पालकी शामिल थी तो पीछे बैण्डबाजे भक्तिगीतों की स्वर लहरियां बिखरते चल रहे थे। उनके पीछे पारम्परिक वेशभुषा में सैंकड़ो पूजारीगण चल रहे थे जो अपने गले में सोने की कंठी व डोरा तथा पगड़ी एवं पछेवड़ी व चन्द्रमा धारण किए हुए थे। पूजारीगण हाथों में चांदी की छंडिया, गोटे, तलवारे, भाले आदि लिए पालकी के आगे भगवान की सेवामें खम्माघणी करते हुए चल रहे थे। मार्ग में छतरी पर भगवान को अमल का भोग धराया गया। शोभायात्रा के दूधतलाई पहुंचने पर पूजारीगण भगवान को पवित्र स्नान कराने दौड़ पड़े। भक्तजनों में भी होड लगी हुई थी कि वे भी भगवान को पानी के छींटे लगाकर स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद पूजारीगण बाल स्वरूप प्रतिमा को छतरी में लाए तथा प्रभु के भीगे वस्त्रों को उतारा। पूजारी गोर्वधन राजावत ने प्रतिमा को केवड़े के फुल में लपेट कर अपने सिर पर धारण कर दूधतलाई की परिक्रमा शुरू की। परिक्रमा के दौरान दूधतलाई के पानी में खड़े श्रद्धालुओं ने प्रतिमा व पूजारीगण पर पानी उड़ेल कर आनन्द लिया। परिक्रमा मार्ग में स्थित छतरी में परम्परानुसार झीलवाड़ा ठिकाने की ओर से दौलतसिंह सौलंकी ने भगवान को अमल अरोगाई।
परिक्रमा पूर्ण होने पर पूजारीगण ने प्रभु को नए वस्त्र और आभूषणों से श्रृंगारित कर पूजारियों ने हरजस गाया। रजत पालकी में बिराजित किया तथा मंदिर के लिए रवानगी की। पूजारीगण भजन कीर्तन करते वापस मंदिर पहुंचे तथा आरती के साथ भगवान की बाल प्रतिमा को पुन: गर्भ गृह में बिराजित किया।
किरण ने किए चारभुजानाथ के दर्शन : चारभुजा में गुरुवार को आयोजित जलझुलनी एकादशी मेले में राजसमन्द विधायक किरण माहेश्वरी व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की तथा भगवान चारभुजानाथ के दर्शन किए। किरण के साथ पूर्व प्रधान कुम्भलगढ़ कमला जोशी, पूर्व उप प्रधान निर्भय सिंह झाला, पूर्व जिला परिषद सदस्य ललित चोरडिय़ा आदि ने भी भगवान के दर्शन किए।
जयकारों से गुंजती रही धर्मनगरी, दिनभर रही रैलमपेल : जलझुलनी एकादशी के अवसर पर धर्मनगरी में दिनभर रैलमपेल रही एवं समूचा परिवेश भगवान चारभुजानाथ के जयकारों से गुंजायमान रहा। सुबह से ही धर्मनगरी में श्रद्धालुओं की अपार आवक शुरू हो गई थी जो दोपहर तक जारी रही। बस स्टेण्ड से मंदिर तक एवं मंदिर के आसपास के क्षेत्र में दिनभर भारी रेलमपेल लगी रही। ग्यारह बजे बाद से एक घण्टे तक तो बस स्टेण्ड से मंदिर तक रास्ते में तिलभर भी जगह खाली नहीं थी। शोभायात्रा के दौरान दूधतलाई जाने के लिए मुख्य मार्ग के अलावा यहां कि संकड़ी गलियों एवं इससे आगे दो अन्य वैकल्पिक मार्गो पर भी लोगों की आवाजाही लगी रही।
गुलाल से श्रद्धालु सरोबार, रास्ते भी रंग गए : जलझुलनी एकादशी के मेले के अवसर पर धर्मनगरी में खुब गुलाल उड़ी, इस दौरान सभी श्रद्धालु सरोबार थे तो रास्ते रंग गए। शोभायात्रा से पूर्व एक घंटे तक मंदिर चौक में प्रभु की पालकी के इंतजार में आतुर श्रद्धालुओं ने इतनी गुलाल उड़ेली की सभी श्रद्धालु तो इससे सरोबार हुए ही पूरा चौक भी रंगीन हो गया। यही नहीं शोभायात्रा के मार्ग एवं अन्य गली मौहल्लों में भी रास्ते गुलाल से सरोबार हो गए।
प्रशासन, पुलिस ने की चौकसी : धर्मनगरी चारभुजा में जलझुलनी एकादशी मेले में कानूनी एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन एवं पुलिस चौकस रही। मंदिर के पास नियंत्रण स्थापित किया गया जहां से व्यवस्था का संचालन किया गया।
भगवान के दर्शनार्थ लोगों का सैलाब सुबह चार बजे से ही मंदिर परिसर में उमडऩा शुरू हो गया। सुबह पांच बजे भगवान चारभुजा के मंगला आरती के दर्शन खुले जो एक घंटे तक रहे। इसके बाद साढ़े आठ बजे से ग्यारह बजे तक भी दर्शन खुले रहे इसके साथ ही मंदिर परिसर में पूजारीगण शोभायात्रा के लिए भगवान को श्रृंगारित करने में जुटे रहे। परम्परानुसार भगवान चतुर्भुज की बाल स्वरूप प्रतिमा को वस्त्र एवं आभुषणों का श्रृंगार धराने के बाद स्वर्ण पालकी में बिराजित किया गया। इस दौरान मंदिर चौक में हजारों की तादाद में भक्तजन जमा हो गए जो चारभुजानाथ के गगनभेदी जयकारों के साथ नाच गाकर असीम हर्ष को प्रदर्शित कर रहे थे। सभी गुलाल से सरोबार होकर भक्तिभाव में लीन दिखाई दिए। सभी की निगाहें मंदिर द्वार पर टिकी थी कारण उन्हें भगवान की पालकी के आने का इंतजार था। पालकी के आने का ज्यों ज्यों समय नजदीक आता गया। श्रद्धालुओं की उत्सुकता द्विगुणित होती गई। ठीक पौने बारह बजे मंदिर से पूजारीगण बाहर आए तो उन्हें पालकी के आने का आभास हो गया। दर्शनों की उत्सुकता से वशीभुत भक्तजनों ने ‘छोगाला छेल की जै,’ ‘हाथी घोड़ा पालकी, जै कन्हैयालाल की’ आदि के जयकारे लगाए। जयकारों के समवेत स्वर से समूचा परिवेश गुंजायमान हो उठा। कुछ ही पल बाद भगवान की स्वर्ण पालकी मंदिर की सीढिय़ों से होते हुए चौक की ओर बढ़ती दिखी तो वहां मौजूद हरेक भक्तजन भगवान चतरर्भुज के स्वरूप को एक पल निहारने के लिए आतुर हो उठा किसी ने निकट से निहार कर स्वयं को धन्य माना तो किसी ने भीड़ की वजह से दूर से नतमस्तक किया। इस बीच शोभायात्रा की रवानगी हो गई। शोभायात्रा में सबसे आगे निवाण एवं ऊंट पर नंगारखाना, गजराज, अश्व एवं प्रभु के लिए रजत पालकी शामिल थी तो पीछे बैण्डबाजे भक्तिगीतों की स्वर लहरियां बिखरते चल रहे थे। उनके पीछे पारम्परिक वेशभुषा में सैंकड़ो पूजारीगण चल रहे थे जो अपने गले में सोने की कंठी व डोरा तथा पगड़ी एवं पछेवड़ी व चन्द्रमा धारण किए हुए थे। पूजारीगण हाथों में चांदी की छंडिया, गोटे, तलवारे, भाले आदि लिए पालकी के आगे भगवान की सेवामें खम्माघणी करते हुए चल रहे थे। मार्ग में छतरी पर भगवान को अमल का भोग धराया गया। शोभायात्रा के दूधतलाई पहुंचने पर पूजारीगण भगवान को पवित्र स्नान कराने दौड़ पड़े। भक्तजनों में भी होड लगी हुई थी कि वे भी भगवान को पानी के छींटे लगाकर स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद पूजारीगण बाल स्वरूप प्रतिमा को छतरी में लाए तथा प्रभु के भीगे वस्त्रों को उतारा। पूजारी गोर्वधन राजावत ने प्रतिमा को केवड़े के फुल में लपेट कर अपने सिर पर धारण कर दूधतलाई की परिक्रमा शुरू की। परिक्रमा के दौरान दूधतलाई के पानी में खड़े श्रद्धालुओं ने प्रतिमा व पूजारीगण पर पानी उड़ेल कर आनन्द लिया। परिक्रमा मार्ग में स्थित छतरी में परम्परानुसार झीलवाड़ा ठिकाने की ओर से दौलतसिंह सौलंकी ने भगवान को अमल अरोगाई।
परिक्रमा पूर्ण होने पर पूजारीगण ने प्रभु को नए वस्त्र और आभूषणों से श्रृंगारित कर पूजारियों ने हरजस गाया। रजत पालकी में बिराजित किया तथा मंदिर के लिए रवानगी की। पूजारीगण भजन कीर्तन करते वापस मंदिर पहुंचे तथा आरती के साथ भगवान की बाल प्रतिमा को पुन: गर्भ गृह में बिराजित किया।
किरण ने किए चारभुजानाथ के दर्शन : चारभुजा में गुरुवार को आयोजित जलझुलनी एकादशी मेले में राजसमन्द विधायक किरण माहेश्वरी व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की तथा भगवान चारभुजानाथ के दर्शन किए। किरण के साथ पूर्व प्रधान कुम्भलगढ़ कमला जोशी, पूर्व उप प्रधान निर्भय सिंह झाला, पूर्व जिला परिषद सदस्य ललित चोरडिय़ा आदि ने भी भगवान के दर्शन किए।
जयकारों से गुंजती रही धर्मनगरी, दिनभर रही रैलमपेल : जलझुलनी एकादशी के अवसर पर धर्मनगरी में दिनभर रैलमपेल रही एवं समूचा परिवेश भगवान चारभुजानाथ के जयकारों से गुंजायमान रहा। सुबह से ही धर्मनगरी में श्रद्धालुओं की अपार आवक शुरू हो गई थी जो दोपहर तक जारी रही। बस स्टेण्ड से मंदिर तक एवं मंदिर के आसपास के क्षेत्र में दिनभर भारी रेलमपेल लगी रही। ग्यारह बजे बाद से एक घण्टे तक तो बस स्टेण्ड से मंदिर तक रास्ते में तिलभर भी जगह खाली नहीं थी। शोभायात्रा के दौरान दूधतलाई जाने के लिए मुख्य मार्ग के अलावा यहां कि संकड़ी गलियों एवं इससे आगे दो अन्य वैकल्पिक मार्गो पर भी लोगों की आवाजाही लगी रही।
गुलाल से श्रद्धालु सरोबार, रास्ते भी रंग गए : जलझुलनी एकादशी के मेले के अवसर पर धर्मनगरी में खुब गुलाल उड़ी, इस दौरान सभी श्रद्धालु सरोबार थे तो रास्ते रंग गए। शोभायात्रा से पूर्व एक घंटे तक मंदिर चौक में प्रभु की पालकी के इंतजार में आतुर श्रद्धालुओं ने इतनी गुलाल उड़ेली की सभी श्रद्धालु तो इससे सरोबार हुए ही पूरा चौक भी रंगीन हो गया। यही नहीं शोभायात्रा के मार्ग एवं अन्य गली मौहल्लों में भी रास्ते गुलाल से सरोबार हो गए।
प्रशासन, पुलिस ने की चौकसी : धर्मनगरी चारभुजा में जलझुलनी एकादशी मेले में कानूनी एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन एवं पुलिस चौकस रही। मंदिर के पास नियंत्रण स्थापित किया गया जहां से व्यवस्था का संचालन किया गया।