Tuesday, May 25, 2010

तपन पर भारी सावों की गर्मी

नाथद्वारा। श्रीजी की नगरी नाथद्वारा में एक ओर सूरज की प्रचण्ड गर्मी, उस पर लपटें...और सावों के वेश इतने भारी कि दुल्हा-दुल्हन ही नहीं बाराती भी पसीने से तरबतर। कुछ ऎसे ही हाल हैं शहर में चल रहे सावों की धूम के। नि:सन्देह मौसम के ताप पर विवाह उत्सवों में शरीक होने का जोश भारी पडता दिख रहा है।
महंगाई की मार गर्मी में सावों के कारण जहां बारातियों व मेहमानों के लिए पंखे, कूलर, बर्फ व शीतल पेय के साथ दही, लस्सी, छाछ व शर्बत की व्यवस्था करनी पड रही है, किन्तु मांग ज्यादा होने से इन वस्तुओं के साथ ही दूध, पनीर व हरी सब्जियों के भाव डेढ गुणा तक बढ गए हैं।
बढी केरी की मांग केटरिंग से जुडे भगवान बताते हैं कि विवाहोत्सव के चलते होने वाले भोज में इन दिनों आमरस तथा क“ाी केरी की लौंजी की मांग बढ गई है। नगर के विवाह समारोह में गर्मी के कारण श्रीखंड की मांग बेहद बढ गई है। सब्जी मंडी में आम व केरी बेचने वाले जुबेर बताते हैं कि वैवाहिक मांग होने से आमों की आवक भी बढ गई है तथा 20 से 35 रूपए किलो में अच्छी किस्म के आम बिक रहे हैं।
आज से तपेगी रोहिणीभीषण गर्मी ने चाहे लोगों के हाल बेहाल कर रखे हैं लेकिन बुधवार से रोहिणी की तपन शुरू होने के कारण सूर्य नारायण का प्रचण्ड स्वरूप महसूस होगा। शास्त्रों में उल्लेख है कि जब रोहिणी तपती है, तब गर्मी का ताप चरम पर होता है तथा जितनी तेज रोहिणी तपती है, उतने ही अच्छे मानसून व वर्षा के योग बनते हैं।
श्रीनाथ मंदिर मंडल के विद्या विभाग का प्रकाशित उत्सव तथा व्रतनन की टिप के अनुसार मंगलवार को वैशाख शुक्ल द्वादशी से कृष्ण पक्ष अपरा एकादशी तक में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में है तथा ताप से बचने के लिए श्रीजी व लालन सहित वैष्णव मंदिरों में प्राकट्य स्वरूपों के श्रीअंग पर चंदन लेप धराकर शीतलता का भाव रचा जाता है। इस अवधि में मंदिर परिसर को शीतल सुवासित जल के छिडकाव से ठंडा कर जमुना कुंड व थाल की सेवा रची जाती है और शीतल फव्वारों के साथ कमल व गुलाब एवं चंपा, चमेली व मोगरा की सुवासित सेवा धराकर ऊष्णकालीन भाव रचे जाते हैं। ठाकुरजी के सम्मुख गुंजारित होने वाली पदावलियों में भी यमुना जल व चंदन के भावों को मुखरित किया गया है।
दूल्हा बने गिरधारीकमला एकादशी पर नगर के वैष्णव मंदिरों एवं देवालयों में श्रद्धालुओं का जमघट रहा। ठाकुरजी को दूल्हे का श्ृंगार धराकर शीतल सुवासित सेवाएं अंगीकार कराई गई। श्ृंगार की झांकी में ठाकुरजी के श्रीचरण में तोडा धराकर चन्दनियां रंगत का पिछौडा सुशोभित किया गया तथा श्रीमस्तक पर लाल फोंदें से रूपांकित सेहरा धराकर सेहरे की वेणी सुसçज्ात की गई। उत्सव भाव से वनमाला का भारी श्ृंगार व पुष्पाभूषणों की सेवा के साथ मोती के आभरण धराए गए। कन्दरा खण्ड के संग चंवरी के चितराम की प्राचीन पिछवई सुसçज्ात की गई, जिसमें दूल्हा बने गोवर्धनधारी तथा मंगलगान करती गोपिकाओं को दर्शाया गया।

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