Wednesday, September 8, 2010

कब होगी पैमाइश

कंुभलगढ । तहसील क्षेत्र में लगभग छह दशक पूर्व सन् 1948 में पैमाईश होने के बाद आज दिन तक पुन: पैमाइश नहीं होने एवं उसके बाद भौगोलिक तस्वीर में अमूल-चूल परिवर्तन हो जाने के कारण वर्तमान में पटवारियों को भूमि विवाद एवं अन्य राजस्व निपटारों के दौरान भारी समस्याओं का सामना करना पड रहा है।
सबकुछ बदल गया
आजादी के 62 वर्षो के बाद अब क्षेत्र मे सबकुछ बदल गया है। जहां पहाड थे वहा सडकें, होटलें व एनिकट व सडकों की जगह भवन, तालाब, स्कूल यहां तक की गांव के गांव नये बस गये है। ऎसे में पटवारियों को सीमा जानकारी में भारी मुसीबतों का समना करना पड रहा है। वर्तमान में पैमाइश नहीं होने एवं 39 पटवार सर्कल पर 41 पदो के विरूद्ध मात्र 18 पटवारियों की तैनाती से मामला कोढ में खाज का कार्य कर रहा है।
तहसील क्षेत्र में आठ भू निरीक्षकों के पद है जिसमे से केलवाडा एवं चारभुजा में एओके भू निरीक्षक मौजूद है तो ओडा, रिछेड, गजपुर, गढबोर एवं केलवाडा एओके सहित पांच पद रिक्त है। तहसील क्षेत्र में छह दशक पूर्व पैमाइश के विरूद्ध अब तस्वीर पूरी बदल चुकी है। ऎसे में पटवारी को सीमा जानकारी के दौरान मौके की तस्वीर पूर्ण रूप से बदली हुई मिलती है। जिससे कई प्रकार के भूमि विवाद खडे हो जाते है।

पटवारियो के रिक्त पदो को लेकर भारी परेशानियों का समना करना पड रहा है। साथ ही पैमाइश का कार्य सेटलमेंट कार्यालय का है। अगर पैमाइश हो जाती है, तो भूमि विवादों का आसाना हल हो सकेगा।
गोपाल नारायण मथूरिया, तहसीलदार, कुंभलगढ
2005 में हुई थी अघिसूचना जारी
तहसील क्षेत्र में पुन: पैमाईश के लिए भू प्रबन्ध अघिकारी अजमेर की ओर से फरवरी 2005 में एक अघिसूचना जारी हुई थी। जिसमें तहसील क्षेत्र की पुन: पैमाईश होनी थी। लेकिन अक्टूबर 2007 में उप शासन सचिव की ओर से इस अघिसूचना को यह कहते हुए पुन: ले लिया गया कि सम्बन्घित क्षेत्र में इस ओर कार्य शुरू नहीं किया गया। एवं निकट भविष्य में इस ओर कार्य करने की कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है।
पटवारी के नहीं होने या अतिरिक्त जार्च होने से आम जन परेशानियों का सामना कर रहे है। समय पर नकल लेने एवं अन्य राजस्व निपटारों के दौरान लेागो को बार-बार भटकना पड रहा है।चुन्नीलाल लोहार, सरपंच ग्राम पंचायत मजेरा

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