राजसमंद । एक बार फिर स्वास्थ्य चेतना यात्रा के नाम पर लाखों रूपए फूंकने की तैयारियां जोरों पर हैं। मोबाइल टीमें तैयार की जा रही हैं ताकि गांव-गांव से लोगों को चिकित्सा शिविरों में बुलाया जा सके। शिविरों के आयोजन पर सवालिया निशान इसलिए लगा है क्योंकि शिविर तो लगेंगे लेकिन उनमें विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होंगे। आशंका है कि जो पहुंचेगा, खाली हाथ ही लौटेगा।
दरअसल एक हफ्ते बाद 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर के दौरान जिले की सभी 206 ग्राम पंचायत मुख्यलयों पर स्वास्थ्य चेतना यात्रा के तहत शिविर लगाए जाने हैं। चिकित्सा विभाग का दावा है कि शिविर में सामान्य और जटिल बीमारियों की जांच व निदान किए जाएंगे। शिविर से एक दिन पूर्व संबंधित पंचायत के सभी गांवों में शिविर में पहुंचने के आग्रह के साथ मोबाइल प्रचारक वाहनों से ढिंढोरा पीटा जाएगा। माना जा रहा है कि जिले के तमाम 10 हजार से अधिक गांवों में यह वाहन पहुंचनेगा।
मुख्य चिकित्सालय में ही पद रिक्त
मुख्यालय के सबसे बडे चिकित्सालय आर. के. में ही चर्म रोग, कान-नाक-गला विशेष और रेडियोग्राफर के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। ऎसे में जिले में ये जांचें कैसे होगीक् शिशु रोग विशेषज्ञ जिला मुख्यालय व नाथद्वारा के अलावा जिले भर में कहीं नहीं हैं। यहां भी 'भरपाई' की जाएगी। हाल यह कि 7 में से किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में ब"ाों के डाक्टर ही नहीं हैं। शिविर में पहुंचने वाली महिलाएं भी बैरंग लौटेंगी क्योंकि महिला विशेषज्ञ भीम और आमेट के अलावा कहीं नहीं है और उन्हें ओपीडी में ड्यूटी के बाद फ्री होने पर ही शिविर स्थल पर बुलाया जाएगा।
देलवाडा, केलवाडा, खमनोर और भीम में सर्जन नहीं हैं तो फिजीशियन मात्र देवगढ व भीम में ही हैं। ऎसे में इनकी सेवाओं से भी शिविरार्थी वंचित ही रहेंगे। फिर दारोमदार रहेगा एएनएम-जीएनएम और संबंधित चिकित्सालयों के चिकित्सकों पर।
पद ही रिक्त हैं
दरअसल एक हफ्ते बाद 15 सितम्बर से 15 अक्टूबर के दौरान जिले की सभी 206 ग्राम पंचायत मुख्यलयों पर स्वास्थ्य चेतना यात्रा के तहत शिविर लगाए जाने हैं। चिकित्सा विभाग का दावा है कि शिविर में सामान्य और जटिल बीमारियों की जांच व निदान किए जाएंगे। शिविर से एक दिन पूर्व संबंधित पंचायत के सभी गांवों में शिविर में पहुंचने के आग्रह के साथ मोबाइल प्रचारक वाहनों से ढिंढोरा पीटा जाएगा। माना जा रहा है कि जिले के तमाम 10 हजार से अधिक गांवों में यह वाहन पहुंचनेगा।
मुख्य चिकित्सालय में ही पद रिक्त
मुख्यालय के सबसे बडे चिकित्सालय आर. के. में ही चर्म रोग, कान-नाक-गला विशेष और रेडियोग्राफर के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। ऎसे में जिले में ये जांचें कैसे होगीक् शिशु रोग विशेषज्ञ जिला मुख्यालय व नाथद्वारा के अलावा जिले भर में कहीं नहीं हैं। यहां भी 'भरपाई' की जाएगी। हाल यह कि 7 में से किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में ब"ाों के डाक्टर ही नहीं हैं। शिविर में पहुंचने वाली महिलाएं भी बैरंग लौटेंगी क्योंकि महिला विशेषज्ञ भीम और आमेट के अलावा कहीं नहीं है और उन्हें ओपीडी में ड्यूटी के बाद फ्री होने पर ही शिविर स्थल पर बुलाया जाएगा।
देलवाडा, केलवाडा, खमनोर और भीम में सर्जन नहीं हैं तो फिजीशियन मात्र देवगढ व भीम में ही हैं। ऎसे में इनकी सेवाओं से भी शिविरार्थी वंचित ही रहेंगे। फिर दारोमदार रहेगा एएनएम-जीएनएम और संबंधित चिकित्सालयों के चिकित्सकों पर।
पद ही रिक्त हैं
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