पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भिक्षु विहार में अध्यात्म और विज्ञान पर आयोजित संगोष्ठी में कहा कि मैं आज अलौकिक वातावरण में उपस्थित हुआ हंू। आचार्य महाश्रमण एवं उनके साधु-साध्वियां अध्यात्म के शिखर को छू रहे है। आचार्य की सादगी, सरलता ने बहुत प्रभावित किया है। मेरा आचार्य महाप्रज्ञ के साथ एकत्व भाव था। आज महाश्रमण से भी
एकत्व भाव होकर आल्हादित हंू। डॉ कलाम ने कहा कि विज्ञान पदार्थ के बारे में चर्चा करता हंू और अध्यात्म क्षमता के विकास और योजना पर कार्य करता हंू। दोनों के चिन्तन की एकता, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। मैं प्रबुद्ध संतों के बीच हंू। आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में हंू। इनमें मानवता के प्रति करुणा कूट-कूट कर भरी हुई हैं। इनके साथ अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय की बात देश को नई दिशा देगी। डॉ. कलाम ने आचार्य महाप्रज्ञ का स्मरण करते हुए कहा कि उनके इस संदर्भ में अनके बार चर्चाएं हुई। उनका एक वाक्य मुझे हमेशा याद रहता है। उसमें उन्होंने कहा है कि आत्मा ही मेरा भगवान हैैं, तपस्या मेरी प्रार्थना है, मैत्री ही मेरा समर्पण है, संयम मेरी ताकत है और अहिंसा मेरा धर्म है। डा. कलाम ने कहा कि लोग युद्ध से, हिंसा से दूर रहे। यह अध्यात्म से संभव है। जब अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय होगा, तभी विश्व में शांति, समृद्धि और विकास स्थापित होगा।
महाप्रज्ञ के निर्देश पालन कर रहा हंू
मिसाइलमैन ने कहा कि जब मैं पहली बार दिल्ली में आचार्य महाप्रज्ञ से मिला था, तब उन्होंने मुझे शांति की मिसाइल बनाने की कमान सौंपी थी। इतने वर्षों में मैं इस पर शोध कर रहा हंू। आज अणु बम अमेरिका एवं रुस के पास ज्यादा है। अन्य देशों के पास 10 प्रतिशत है। आणविक ऊर्जा को निष्प्रभावी बनाने पर कार्य चल रहा हैं। पर आज अणु बम से ज्यादा खतरनाक साईबर आतंक हो रहा है। अणु बम एक साथ मनुष्यों को खत्म कर सकता है, पर यह आतंक व्यक्ति के विचारों को प्रमाणित करता है। इसके प्रभाव में आने वाले पांच व्यक्ति पचास को प्रभावित करते है इससे बचाव का उपाय खोजना जरुरी है। मैं इसको ध्यान में रखकर आचार्य महाप्रज्ञ के निर्देश पर कार्य कर रहा हंू।
मेरे तीन गुरु
मिसाइलमैन डॉ. कलाम ने कहा कि मैं तीन लोगों से प्रभावित हंू। भगवान महावीर, महात्मा गांधी और आचार्य महाप्रज्ञ। ये तीनों मेरे गुरु है। इनसे मैंने जीने की दृष्टि पाई है। इनका चिंतन मुझे राह दिखाता रहता है।
विज्ञान और अध्यात्म एक दूसरे के पूरकः आचार्य महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि अध्यात्म और विज्ञान दोनों एक दूसरे के पूरक है। विज्ञान के बिना आध्यात्म अधूरा है तो आध्यात्म के बिना विज्ञान भी पूर्ण नहीं हैं। अध्यात्म परम लक्ष्य मोक्ष है वहीं विज्ञान केवल पदार्थों तक सीमित हैं। आध्यात्म जहां अन्य शक्ति का संदेश देता है वही विज्ञान पदार्थों के प्रति आकर्षण बढा रहा है। दोनों के समन्वय होने पर ही समान विकास की राह खुल सकती है और पावरफूल राष्ट्र का निर्माण हो सकता हैं।
संगोष्ठी में अणुविभा के सोहन लाल गांधी एवं व्यवस्था समिति के महामंत्री सुरेन्द्र कोठारी ने विचार व्यक्त किए। व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी, संयुक्त मंत्री मूलचंद मेहता, स्वागताध्यक्ष परमेश्वर बोहरा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष बाबू लाल कोठारी, मंत्री लवेश मादरेचा, महेन्द्र कोठारी अपेक्ष, प्रकाश चपलोत, राजकुमार कोठारी, राजेन्द्र कोठारी, भगवती लाल बोहरा, तेयुप अध्यक्ष विकास कोठारी, मंत्री लक्की कोठारी, महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती फूली देवी बोहरा, मंत्री रत्ना कोठारी, किरण कोठारी ने डॉ कलाम का परपंरागत स्वागत किया। तेजकरण सुराणा ने संचालन किया।
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