Sunday, July 31, 2011

अणुव्रत है महाशक्तिः हजारे

देश के सुप्रसिद्ध गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने युवाओं से भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम में अपनी सहभागिता का आहृान करते हुए कहा कि जब तक उनके शरीर में प्राण है तब तक लोकपाल को लेकर चलाया जा रहा आन्दोलन जारी रहेगा। उन्होंने लोकपाल बिल को पारित कराने की कार्रवाई को आजादी की दूसरी लडाई की संज्ञा देते हुए कहा कि पहले गोरे देश को दीमक की तरह चूस रहे थे। अब काले लोग देश को भ्रष्टाचार के दलदल में डालकर स्वयं मौज उडा रहे है। गांधीवादी विचारक अन्ना हजारे रविवार को यहां तेरापंथ समवसरण में शुरू हुए अणुव्रत के 62 वें अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। स्वामी विवेकानंद के जीवन और संदेशों से स्वयं को प्रभावित बताते हुए अन्ना ने कहा कि उन्होंने वर्ष 1965 में भारत-पाक के बीच हुए युद्ध के बाद इन संदेशों से प्रेरित होकर अपना संपूर्ण जीवन जन सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि वे 26 वर्ष की उम्र से लेकर आज 74 वर्ष की आयु तक लोक सेवा को समर्पित है। हजारे ने खुलासा किया कि उन्होंने देश और जन सेवा की खातिर ही विवाह नहीं किया। उनका कहना था कि यदि वे चौके-चूल्हे के फेर में पड जाते तो शायद देश के लिए यह सब कुछ नहीं कर पाते।
भौतिक सुख सुविधाएं भोगने वाले लखपति और करोडपति व्यक्ति रात को एसी में नींद की गोलियां लेकर सोते है, लेकिन उन्हें आनंद की अनुभूति नहीं होती। मैं दूसरों की सेवा कर उनसे ज्यादा अपने आपको आनंदित महसूस करता हंू। जब तक हम दूसरों को सुखी नहीं करेंगे तब तक स्वयं भी सुखी नहीं रह पाएंगे। विश्व में शांति का सपना केवल बातें करने से साकार नहीं होगा। इसके लिए पहले गांव, फिर व्यक्ति और फिर देश को सुधारना होगा। उन्होंने अणुव्रत को स्वयं के लिए प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में यह बात हमेशा रटता रहता है कि यह मेरा, वो मेरा और दूसरे के हिस्से का भी मेरा, लेकिन हाथ में कुछ आता जाता नहीं है। फिर क्यों इस तरह की आकांक्षा मन में बनाई जाती है।
अणुव्रत है महा शक्ति
उन्होंने कहा कि अणुव्रत में अथाह शक्ति है। इसकों मैंने अनुभव किया और जीया है। इसी कारण वे उम्र के इस पडाव में भी दीन-दुखियों की सेवा में जुटे हुए है। आचार, विचार और त्याग के बिना कुछ भी संभव नहीं है। परम्पराएं त्याग सिखाती आई है। जितना त्याग करोगे तभी शांति की अनुभूति होगी। एक भुट्टे के लिए किसान एक दाना खेत में डालता है और फसल पकने के बाद इसमें कई दाने आ जाते है। जो दाना जमीन में नहीं जाता वह चक्की में पिसकर आटा बन जाता है। उन्होंने कहा कि वे पिछले 35 वर्षों के दौरान एक बार भी अपने गांव नहीं गए। उन्हें अपने भाईयों के पुत्रों का नाम तक नहीं मालूम। वे केवल देश और गरीब की सेवा में जुटे हुए है।
विकास में रोडा भ्रष्टाचार
उन्होंने गांव एवं देश के विकास में रोडा बन रहे भ्रष्टाचार रूपी बेल को नष्ट करने का आग्रह करते हुए कहा कि वे दस वर्ष तक सूचना के अधिकार कानून को पारित कराने के लिए लडते रहे। आखिरकार उन्हें सफलता मिली और आज यह कानून पूरे देश में लागू है। इसके बाद बडे घोटाले निरन्तर सामने आ रहे है। उन्होंने बेदाग छवि के कारण केन्द्रीय मंत्रीमंडल के छह मंत्रियों को घर का रास्ता दिखा दिया और चार सौ से अधिक अफसरों को कार्रवाई के बोझ तले दबा दिया। उन्होंने लोकपाल बिल को परिभाषित करते हुए कहा कि इस बिल के पारित होने से भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी, मंत्री और अन्य को जेल भिजवाया जा सकता है। इसमें आजीवन कारावास के प्रावधान के साथ जितना गबन किया उतनी ही वसूली का प्रावधान किया गया है, लेकिन सरकार मानने को तैयार ही नहीं। उन्होंने सीबीआई को सरकार का एक अंग बताते हुए कहा कि अब तक कितने ही मामलों में सीबीआई ने जांच की, लेकिन कोई जेल तक नहीं पहुंच पाया।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह लोकपाल को स्वायत्तता दें दे तो देश में भ्रष्टाचार के तकरीबन साठ से सत्तर प्रतिशत मामलों में ब्रेक लग सकता है। लोकपाल को क्रांतिकारी कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पिछले 42 वर्षों के दौरान यह बिल पारित कराने के लिए संसद में लाया गया, लेकिन नेताओं ने इसे पास नहीं होने दिया। आज बढती महंगाई से गरीबों का जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है। लोग एक समय भोजन करके जीवन बिता रहे है। किसी नेता को इनकी चिंता ही नहीं है।

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