Thursday, July 28, 2011

KELWA CHATURMAS


आचार्य महाश्रमण ने कर्म के बंधन में हिंसा-अहिंसा का बडा योग बताते हुए कर्म को परिभाषित किया और कहा कि आज के परिवेश में अहिंसा के सूत्र को अपनाने की महत्ती आवश्यकता है। प्राणियों को अपने समान समझे और ऐसे किसी शब्द का उच्चारण न करें जिससे उसके मन में द्वेष की भावना पैदा न हो।

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