हमारा विचार, आचार और व्यवहार अच्छा हो। इसके लिए श्रावक-श्राविकाओं को आत्मलोचन करने की आवश्यकता है। इससे भावों में शुद्धता का समावेश होगा और अनेक समस्याओं का स्वतः ही समाधान हो जाएगा।
यह उद्गार आचार्य महाश्रमण ने यहां तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास में रविवार को दैनिक प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उत्तराशक्ति की साधना से हमारे विचारों में शुद्धता आएगी। अच्छे विचार आचार का प्रादुर्भाव होगा और व्यवहार में आशातीत परिवर्तन का बोध होगा। संबोधि के तीसरे अध्याय में उल्लेख है कि जिस तरह आदमी का भाव होगा उसी के अनुरुप वह कर्मों के बंधन में बंधता है। भागवत गीता में कहा गया है कि आसक्ति के प्रभाव से मनुष्य को माया-मोह के कारण विनाश के पथ पर अग्रसर होना पडता है। गीता ग्रंथ के दूसरे अध्याय में उल्लेख है कि आदमी चिंतन करता है और दूसरों के संग रहकर वह अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है। इस दौरान काम की पूर्ति नहीं होने पर उसे गुस्सा आ जाता है , जो उसे धर्म और साधना से दूर कर विकार, कलह की ओर धकेल देता है। साथ ही बुद्धिनाशी गुणात्मक का पतन हो जाता है। कर्म को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि यह वह चेतना है जो आकर्षण को पैदा करता है। इसे दूर किया जाना चाहिए।
उत्तराकर्म में शरीर की अनुकुलता है तो कार्योे को सफलता मिलती है। इसलिए श्रावक-श्राविकाओं को चाहिए कि वे अच्छे कर्म करने में विश्वास करे। मन ही मनुष्य के बंधन और कर्मों को उजागर करता है। उसके कर्म इस बात को इंगित करते है कि मन के भाव क्या है। संस्कृत साहित्य में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि जैसा भाव होगा, मनुष्य का कर्म भी उसी अनुरुप सामने आएगा। इसलिए अच्छे भाव के नियंत्रण के लिए ध्यान और साधना में कुछ समय लीन रहने अथवा उपासना करने की आवश्यकता है। रागात्मक प्रवृति से द्वेष बढता है और इंद्रियां आसक्ति की ओर अग्रसर होती है।
जैसी भावना होगी वैसी ही सिद्धी
उन्होंने पाप के कारणों को परिभाषित करते हुए श्रावक-श्राविकाओं से आहृान किया कि मनुष्य के मन के भीतर विद्यमान लालसा उसे दुष्कर्म की ओर ले जाती है और उसमें विपरित कार्यों की क्रियान्विति करवाती है। जिसकी जैसी भावना होगी वैसी ही उसकी सिद्धी होगी। उन्होंने डॉक्टर और डाकू की भावना का जिक्र करते हुए कहा कि जहां एक सर्जन मनुष्य को पेट चीरकर उसका इलाज करता है और उसे नया जीवन प्रदान करता है। वही डाकू भी आदमी का पेट छुरे से फाडता है, लेकिन वह उसे मौत की नींद सुला देता है और स्वर्णाभूषण इत्यादि चुरा लेता है। यहां पेट तो दोनों चीरते है, लेकिन भावना में अंतर है। उन्होंने बिल्ली के भाव पर कहा कि यह चूहे को अपने मुंह से पकड कर उसे मारती है तो वह हिंसा की श्रेणी में आता है और इसी मुंह से बच्चे को दुलारती है पकडती है तो उसमें ममता का भाव होता है। इसलिए हमें भाव के अंतर को समझकर उसके अनुरुप कार्य करने की आवश्यकता है। आचार्य ने कहा कि अभी धर्मोपासना का समय है। श्रावण मास चल रहा है और शीघ्र भादौ आने वाला है। इस समय ज्ञान की ऐसी खुराक ग्रहण करें ताकि ध्यान का झुकाव धर्म और साधना के प्रति हमेशा बना रहे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जो आस्तिक होता है वह धर्म करने की मानसिकता रखता है। वह धार्मिक कहलाता है। धर्म करने में गौरव का अनुभव होता है। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से आहृान किया कि वे धर्म के प्रति हमेशा गंभीर और चिंतनशील रहें। मुनि प्रसन्न कुमार ने तपस्या की प्रेरणा दी। वही मुनि जितेन्द्र कुमार ने श्रावक संघ बोध सीखने को प्रेरित किया। इस दौरान नरेन्द्र सुराणा की ओर से भेंट की गई ’महाप्रज्ञ ने कहा ’शीर्षक की पुस्तक का विमोचन आचार्य ने किया। संयोजन मोहजीत कुमार ने किया।
केलवा में निकाली नशामुक्ति रैली
आमजन को नशे से प्रायः दूर रहने का संदेश देने के उद्देश्य से कस्बे में रविवार को तेरापंथ युवक परिषद्, जयपुर की ओर से नशामुक्ति रैली निकाली गई। आचार्य महाश्रमण की प्रेरणा से सुबह निकाली गई इस रैली के दौरान परिषद् के कार्यकर्ता संबंधित पत्रक लोगों को देते हुए चल रहे थे। इस दौरान तेयुप जयपुर के अध्यक्ष सुरेन्द्र सेठिया, अभातेयुप के अविनाश नाहर सहित कार्यकर्ता और पदाधिकारी
मौजूद थे।
सम्यक् दर्शन एक हैः भिक्षु विहार में शनिवार रात को तेरापंथ युवक परिषद् की ओर से आयोजित कार्यशाला में मुनि दिनेश कुमार ने कहा कि सम्यक् दर्शन एक हैं।। इसमें जो साधक तपस्या करता है वह शून्य हो जाता हैं। शून्यों का महत्व है। अन्यथा सारी तपस्या महत्वहीन हो जाती है। मुक्ति का राजपथ विषयक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सम्यक में निर्मलता का बोध हो। इसके लिए कुछ सूत्र स्मरण करें। संचालन मुनि जयंत कुमार ने किया।
पौने दो सौ रोगियों ने उठाया लाभ
केंसर जांच का निःशुल्क शिविर
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के तत्वावधान में रविवार को क्रॉन्फेन्स हॉल भिक्षु विहार में केंसर जांच का निःशुल्क जांच शिविर आयोजित किया गया। आचार्य महाश्रमण अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित इस शिविर का आगाज आचार्य और साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा के सान्निध्य में किए मंगलपाठ से हुआ। दिल्ली से आए केंसर विशेषज्ञ डॉ. राजेश जैन ने बताया कि शिविर में जांच कराने आए रोगियों को एक्शन केंसर हास्पिटल की ओर से निःशुल्क दवाइयां वितरित की गई। शिविर में दिल्ली से आए डाक्टरों के दल ने 170 रोगियों की जांच की। शिविर का रणजीत मुनि, मोहजीत मुनि और धर्मेन्द्र मुनि ने अवलोकन किया। इस दौरान शिविर संयोजक मयंक बोहरा, शिविर सहसंयोजक मनोज कोठारी सहित कार्यकर्ता और पदाधिकारी व्यवस्थाओं की देखरेख में जुटे हुए थे।
अणुव्रत अधिवेशन 31 को, अन्ना हजारे करेंगे उद्घाटन
कस्बे के तेरापंथ समवसरण प्रांगण में 31 जुलाई को अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में अणुव्रत अधिवेशन आयोजित होगा। इसका उद्घाटन प्रख्यात गांधीवादी विचारक और समाज प्रचेता अन्ना हजारे करेंगे।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी ने बताया कि मानवीय नैतिक मूल्यों के विकास एवं संवर्द्धन में विगत छह दशक से समर्पित अणुव्रत आन्दोलन के मद्देनजर आयोजित इस अधिवेशन में साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा की प्रेरणा रहेगी। मंत्री मुनि सुमेरमल उद्बोधन और समाज प्रचेता हजारे संबोधन देंगे। अधिवेशन को लेकर तैयारियां प्रारंभ हो चुकी है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने भेजा शुभकामना संदेश
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी को पत्र प्रेषित कर केलवा कस्बे में चल रहे आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास की सफलता की कामना की है। मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने संदेश में कहा कि भारतीय संस्कृति में चातुर्मास का महत्व सुविदित है। वे तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम आचार्य भिक्षु की पावन तपोभूमि और आचार्य महाश्रमण सहित सभी साधक एवं साध्वी समुदाय को नमन करते हुए पावस प्रवास की कामना करते हैं।
यह उद्गार आचार्य महाश्रमण ने यहां तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास में रविवार को दैनिक प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उत्तराशक्ति की साधना से हमारे विचारों में शुद्धता आएगी। अच्छे विचार आचार का प्रादुर्भाव होगा और व्यवहार में आशातीत परिवर्तन का बोध होगा। संबोधि के तीसरे अध्याय में उल्लेख है कि जिस तरह आदमी का भाव होगा उसी के अनुरुप वह कर्मों के बंधन में बंधता है। भागवत गीता में कहा गया है कि आसक्ति के प्रभाव से मनुष्य को माया-मोह के कारण विनाश के पथ पर अग्रसर होना पडता है। गीता ग्रंथ के दूसरे अध्याय में उल्लेख है कि आदमी चिंतन करता है और दूसरों के संग रहकर वह अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है। इस दौरान काम की पूर्ति नहीं होने पर उसे गुस्सा आ जाता है , जो उसे धर्म और साधना से दूर कर विकार, कलह की ओर धकेल देता है। साथ ही बुद्धिनाशी गुणात्मक का पतन हो जाता है। कर्म को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि यह वह चेतना है जो आकर्षण को पैदा करता है। इसे दूर किया जाना चाहिए।
उत्तराकर्म में शरीर की अनुकुलता है तो कार्योे को सफलता मिलती है। इसलिए श्रावक-श्राविकाओं को चाहिए कि वे अच्छे कर्म करने में विश्वास करे। मन ही मनुष्य के बंधन और कर्मों को उजागर करता है। उसके कर्म इस बात को इंगित करते है कि मन के भाव क्या है। संस्कृत साहित्य में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि जैसा भाव होगा, मनुष्य का कर्म भी उसी अनुरुप सामने आएगा। इसलिए अच्छे भाव के नियंत्रण के लिए ध्यान और साधना में कुछ समय लीन रहने अथवा उपासना करने की आवश्यकता है। रागात्मक प्रवृति से द्वेष बढता है और इंद्रियां आसक्ति की ओर अग्रसर होती है।
जैसी भावना होगी वैसी ही सिद्धी
उन्होंने पाप के कारणों को परिभाषित करते हुए श्रावक-श्राविकाओं से आहृान किया कि मनुष्य के मन के भीतर विद्यमान लालसा उसे दुष्कर्म की ओर ले जाती है और उसमें विपरित कार्यों की क्रियान्विति करवाती है। जिसकी जैसी भावना होगी वैसी ही उसकी सिद्धी होगी। उन्होंने डॉक्टर और डाकू की भावना का जिक्र करते हुए कहा कि जहां एक सर्जन मनुष्य को पेट चीरकर उसका इलाज करता है और उसे नया जीवन प्रदान करता है। वही डाकू भी आदमी का पेट छुरे से फाडता है, लेकिन वह उसे मौत की नींद सुला देता है और स्वर्णाभूषण इत्यादि चुरा लेता है। यहां पेट तो दोनों चीरते है, लेकिन भावना में अंतर है। उन्होंने बिल्ली के भाव पर कहा कि यह चूहे को अपने मुंह से पकड कर उसे मारती है तो वह हिंसा की श्रेणी में आता है और इसी मुंह से बच्चे को दुलारती है पकडती है तो उसमें ममता का भाव होता है। इसलिए हमें भाव के अंतर को समझकर उसके अनुरुप कार्य करने की आवश्यकता है। आचार्य ने कहा कि अभी धर्मोपासना का समय है। श्रावण मास चल रहा है और शीघ्र भादौ आने वाला है। इस समय ज्ञान की ऐसी खुराक ग्रहण करें ताकि ध्यान का झुकाव धर्म और साधना के प्रति हमेशा बना रहे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जो आस्तिक होता है वह धर्म करने की मानसिकता रखता है। वह धार्मिक कहलाता है। धर्म करने में गौरव का अनुभव होता है। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से आहृान किया कि वे धर्म के प्रति हमेशा गंभीर और चिंतनशील रहें। मुनि प्रसन्न कुमार ने तपस्या की प्रेरणा दी। वही मुनि जितेन्द्र कुमार ने श्रावक संघ बोध सीखने को प्रेरित किया। इस दौरान नरेन्द्र सुराणा की ओर से भेंट की गई ’महाप्रज्ञ ने कहा ’शीर्षक की पुस्तक का विमोचन आचार्य ने किया। संयोजन मोहजीत कुमार ने किया।
केलवा में निकाली नशामुक्ति रैली
आमजन को नशे से प्रायः दूर रहने का संदेश देने के उद्देश्य से कस्बे में रविवार को तेरापंथ युवक परिषद्, जयपुर की ओर से नशामुक्ति रैली निकाली गई। आचार्य महाश्रमण की प्रेरणा से सुबह निकाली गई इस रैली के दौरान परिषद् के कार्यकर्ता संबंधित पत्रक लोगों को देते हुए चल रहे थे। इस दौरान तेयुप जयपुर के अध्यक्ष सुरेन्द्र सेठिया, अभातेयुप के अविनाश नाहर सहित कार्यकर्ता और पदाधिकारी
मौजूद थे।
सम्यक् दर्शन एक हैः भिक्षु विहार में शनिवार रात को तेरापंथ युवक परिषद् की ओर से आयोजित कार्यशाला में मुनि दिनेश कुमार ने कहा कि सम्यक् दर्शन एक हैं।। इसमें जो साधक तपस्या करता है वह शून्य हो जाता हैं। शून्यों का महत्व है। अन्यथा सारी तपस्या महत्वहीन हो जाती है। मुक्ति का राजपथ विषयक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सम्यक में निर्मलता का बोध हो। इसके लिए कुछ सूत्र स्मरण करें। संचालन मुनि जयंत कुमार ने किया।
पौने दो सौ रोगियों ने उठाया लाभ
केंसर जांच का निःशुल्क शिविर
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के तत्वावधान में रविवार को क्रॉन्फेन्स हॉल भिक्षु विहार में केंसर जांच का निःशुल्क जांच शिविर आयोजित किया गया। आचार्य महाश्रमण अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित इस शिविर का आगाज आचार्य और साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा के सान्निध्य में किए मंगलपाठ से हुआ। दिल्ली से आए केंसर विशेषज्ञ डॉ. राजेश जैन ने बताया कि शिविर में जांच कराने आए रोगियों को एक्शन केंसर हास्पिटल की ओर से निःशुल्क दवाइयां वितरित की गई। शिविर में दिल्ली से आए डाक्टरों के दल ने 170 रोगियों की जांच की। शिविर का रणजीत मुनि, मोहजीत मुनि और धर्मेन्द्र मुनि ने अवलोकन किया। इस दौरान शिविर संयोजक मयंक बोहरा, शिविर सहसंयोजक मनोज कोठारी सहित कार्यकर्ता और पदाधिकारी व्यवस्थाओं की देखरेख में जुटे हुए थे।
अणुव्रत अधिवेशन 31 को, अन्ना हजारे करेंगे उद्घाटन
कस्बे के तेरापंथ समवसरण प्रांगण में 31 जुलाई को अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में अणुव्रत अधिवेशन आयोजित होगा। इसका उद्घाटन प्रख्यात गांधीवादी विचारक और समाज प्रचेता अन्ना हजारे करेंगे।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी ने बताया कि मानवीय नैतिक मूल्यों के विकास एवं संवर्द्धन में विगत छह दशक से समर्पित अणुव्रत आन्दोलन के मद्देनजर आयोजित इस अधिवेशन में साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा की प्रेरणा रहेगी। मंत्री मुनि सुमेरमल उद्बोधन और समाज प्रचेता हजारे संबोधन देंगे। अधिवेशन को लेकर तैयारियां प्रारंभ हो चुकी है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने भेजा शुभकामना संदेश
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी को पत्र प्रेषित कर केलवा कस्बे में चल रहे आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास की सफलता की कामना की है। मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने संदेश में कहा कि भारतीय संस्कृति में चातुर्मास का महत्व सुविदित है। वे तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम आचार्य भिक्षु की पावन तपोभूमि और आचार्य महाश्रमण सहित सभी साधक एवं साध्वी समुदाय को नमन करते हुए पावस प्रवास की कामना करते हैं।
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