खमनोर। पहला सुख निरोगी काया को जेहन में समेटे घर-घर से सहयोग राशि जुटाकर करीब 35 लाख रूपए की लागत से ग्रामीणों ने चिकित्सालय भवन का निर्माण भी करा दिया, लेकिन चिकित्सालय संचालन को मंजूरी नहीं मिल पाने से ग्रामीणों के लिए चिकित्सालय संचालन होना केवल सपना बनकर रह गया है। मामला खमनोर पंचायत समिति क्षेत्र के सलोदा गांव में निर्मित चिकित्सालय भवन से जुडा है।
वर्ष 2004 से तैयार भवन के लिए लोगों ने तन, मन व धन से सहयोग देने में कोई कसर नहीं छोडी। गांव के प्रत्येक घर से 400 रूपए की सहयोग राशि एकत्र की। जो आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं थे, उन्होंने स्वेच्छा से सहयोग राशि के बदले आठ दिन तक श्रमदान किया।
ग्रामीणों से सहयोग राशि एकत्र करने के बाद और धन की आवश्यकता होने पर सहयोग के लिए भामाशाह आगे आए जिन्होंने भवन का निर्माण कार्य पूर्ण करवा दिया। भवन निर्माण पूर्ण होने के साथ लोगों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की मंजूरी के प्रयास शुरू किए, लेकिन अफसोस कि आधा दशक बीतने के बावजूद भवन में चिकित्सालय संचालन की मंजूरी नहीं मिल पाई।
भवन में हैं पर्याप्त सुविधाएं
भवन निर्माण में चिकित्सालय के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं का ध्यान रखा गया। भवन परिसर में चिकित्सक परामर्श कक्ष, इंजेक्शन एवं डे्रसिंग कक्ष, लेबारेट्री कक्ष, ऑपरेशन थियेटर, तैयारी कक्ष, लेबर-स्टोर रूम, स्टॉफ ड्यूटी कक्ष, एक्स-रे कक्ष, मेल व फीमेल वार्ड सहित उद्यान व पार्किग स्थल का निर्माण करवाया गया था।
चिकित्सा सुविधा से महरूम हैं बाशिन्दे
भवन में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालन की मंजूरी नहीं मिलने से सलोदा गांव सहित समीपवर्ती सगरूण, वाटी, कदमाल, फतहपुर, कामा, बिल्ली, डाबून, सेमा, अंगुर की भागल, खेडा की भागल, छोटा भाणुजा, मलीदा, सेमा का गुडा आदि गांवों की करीब 35 हजार ग्रामीण चिकित्सा सुविधाओं से महरूम हैं। यहां चिकित्सालय संचालन होने के बाद दर्जन भर गांवों के बाशिन्दों को चिकित्सा सेवाएं सुलभ हो सकेगी।
गांव के लोगों ने जनसहयोग से राशि एकत्र कर भवन निर्माण कराया और क्षेत्र में अनूठी मिसाल कायम की, लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के संचालन को मंजूरी नहीं मिल पाने की लोगों के मन में कसक है।
देवा गायरी, सरपंच, सलोदा
अनेक बार स्वीकृति के लिए जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया, लेकिन सपना साकार नहीं हो पाया।
भैरूसिंह, ग्रामीण, सलोदा
चिकित्सालय को मंजूरी दिलाने के लिए समुचित प्रयास किए जाएंगे।
वर्ष 2004 से तैयार भवन के लिए लोगों ने तन, मन व धन से सहयोग देने में कोई कसर नहीं छोडी। गांव के प्रत्येक घर से 400 रूपए की सहयोग राशि एकत्र की। जो आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं थे, उन्होंने स्वेच्छा से सहयोग राशि के बदले आठ दिन तक श्रमदान किया।
ग्रामीणों से सहयोग राशि एकत्र करने के बाद और धन की आवश्यकता होने पर सहयोग के लिए भामाशाह आगे आए जिन्होंने भवन का निर्माण कार्य पूर्ण करवा दिया। भवन निर्माण पूर्ण होने के साथ लोगों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की मंजूरी के प्रयास शुरू किए, लेकिन अफसोस कि आधा दशक बीतने के बावजूद भवन में चिकित्सालय संचालन की मंजूरी नहीं मिल पाई।
भवन में हैं पर्याप्त सुविधाएं
भवन निर्माण में चिकित्सालय के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं का ध्यान रखा गया। भवन परिसर में चिकित्सक परामर्श कक्ष, इंजेक्शन एवं डे्रसिंग कक्ष, लेबारेट्री कक्ष, ऑपरेशन थियेटर, तैयारी कक्ष, लेबर-स्टोर रूम, स्टॉफ ड्यूटी कक्ष, एक्स-रे कक्ष, मेल व फीमेल वार्ड सहित उद्यान व पार्किग स्थल का निर्माण करवाया गया था।
चिकित्सा सुविधा से महरूम हैं बाशिन्दे
भवन में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालन की मंजूरी नहीं मिलने से सलोदा गांव सहित समीपवर्ती सगरूण, वाटी, कदमाल, फतहपुर, कामा, बिल्ली, डाबून, सेमा, अंगुर की भागल, खेडा की भागल, छोटा भाणुजा, मलीदा, सेमा का गुडा आदि गांवों की करीब 35 हजार ग्रामीण चिकित्सा सुविधाओं से महरूम हैं। यहां चिकित्सालय संचालन होने के बाद दर्जन भर गांवों के बाशिन्दों को चिकित्सा सेवाएं सुलभ हो सकेगी।
गांव के लोगों ने जनसहयोग से राशि एकत्र कर भवन निर्माण कराया और क्षेत्र में अनूठी मिसाल कायम की, लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के संचालन को मंजूरी नहीं मिल पाने की लोगों के मन में कसक है।
देवा गायरी, सरपंच, सलोदा
अनेक बार स्वीकृति के लिए जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया, लेकिन सपना साकार नहीं हो पाया।
भैरूसिंह, ग्रामीण, सलोदा
चिकित्सालय को मंजूरी दिलाने के लिए समुचित प्रयास किए जाएंगे।
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