Sunday, April 4, 2010

वही हुआ जिसका था डर

राजसमंद। जिला परिषद की ओर से रविवार को आयोजित की गई लेखा सहायक परीक्षा में अभ्यर्थियों के साथ वही हुआ जिसका डर था। यानी कई आवेदक उलझन भरी प्रक्रिया के चलते परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए और परीक्षा प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई। हालांकि राजस्थान पत्रिका में समाचार प्रकाशन के बाद कई लोग परीक्षा में पहुंचने में सफल हो गए। गौरतलब है कि परीक्षा को लेकर आवेदन तो करीब एक साल पूर्व ेमांगें गए थे, लेकिन परीक्षा अर्हता व पात्रता को लेकर बार-बार संशोधन होते रहे। किए गए संशोधनों की जानकारी आवेदकों को समय पर नहीं मिल पाई। ऎसे में अभ्यर्थी आरंभ से ही परीक्षा को लेकर पेसोपेश में रहे।
रविवार को हुई परीक्षा के संबंध में भी शनिवार तक जिला परिषद कार्यालय की ओर से कोई अघिकृत सूचना जारी नहीं की गई थी। कार्यालय के एक बाबू के परिचित ने अपने रिश्तेदारों-परिजनों को इस संबंध में जानकारी दी तो बात अन्य तक फैली और अभ्यर्थी देर रात राजस्थान पत्रिका कार्यालय पहुंचे। इसके बाद मुख्य कार्यकारी अघिकारी रामपाल शर्मा से परीक्षा के संबंध में जानकारी लेकर अभ्यर्थियों को आश्वस्त किया।
कहीं मिलीभगत तो नहीं : पीपली आचार्यान निवासी आवेदक चंद्रशेखर आचार्य व कांकरोली निवासी मनीष सनाढ्य ने आरोप लगाया कि जिला परिषद ने करीब सात माह पूर्व आवेदन ेमांगें थे, इसमें स्नातक और कम्प्यूटर से संबंबिधत जानकार की मांग की गई थी। परिषद ने आवेदकों का साक्षात्कार भी लिया, लेकिन समय पर इसकी सूची आगे नहीं भेजी जा सकी इसलिए परीक्षा निरस्त कर दी गई।
इसके बाद लेखा सहायकों के लिए चली पूरी प्रक्रिया गुपचुप सम्पन्न की गई जिसका अभ्यर्थियों को पता तक नहीं चला। आचार्य व सनाढ्य ने आरोप लगाया कि निरस्त किए गए आवेदन पत्रों के संबंध में अभ्यर्थियों को किसी भी तरह से सूचित नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि परीक्षा में शामिल होने से कई आवेदक वंचित रह गए हैं, इसलिए सभी एकत्र होकर अब न्यायालय की शरण लेंगे। इधर, जिला परिषद ने लेखा सहायकों 22 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए रविवार को शाम पांच बजे तक परीक्षा प्रक्रिया पूरी कर ली। इसमें 181 आवेदकों को योग्य घोषित किया गया था, लेकिन कई आवेदक समय पर जानकारी नहीं मिलने व प्रवेश पत्र नहीं

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