देलवाडा। सरकार चाहे लाख नियम बनाए, लेकिन लोग तोड निकाल ही लेते है। प्रदेश में शराब की दुकानें रात आठ बजे तक ही खुली रखने के नियम हैं लेकिन शौकीन लोगों के लिए माल सदैव उपलब्ध रहता है। हां कुछ अतिरिक्त शुल्क जरूर अवश्य लग जाता है। कानूनी तौर पर शराब की दुकानों के शटर रात आठ बजे ही डाउन हो जाते हैं, लेकिन बंद शटर में शराब बिक्री का खेल देर तक चलता है। अतिरिक्त शुल्क देने पर सभी ब्रांड की शराब व बीयर उपलब्ध हो जाती है।
स्वीकृत एक, मिलेंगी अनेक
ग्रामीणों ने बताया कि कस्बे में आबकारी विभाग ने एक ही दुकान पर शराब बेचने का लाइसेंस दे रखा है। बताया जाता है कि ठेकेदार की मिलीभगत से यहां अनेक दुकानें संचालित हैं। लोगों का कहना है कि दुकान वालों को ठेकेदार कथित रूप से कमीशन लेकर माल सप्लाई करता है।
रात में सेवा शुल्क
रात आठ बजे बाद आने वाल सुरा प्रेमियों को अतिरिक्त शुल्क देना पडता है। ठेके पर शराब की दरें दिन में अलग होती है लेकिन रात आठ बजे बाद इनकी दरों में 25 फीसदी तक वृद्धि हो जाती है। राजमार्ग से सटे ढाबों में तो शराब सदैव तैयार मिलती है।
जो बोल दिया, वही दाम
क्षेत्र की दुकानों पर शराब की एमआरपी दरों से कोई लेना-देना नहीं। विक्रेता अपने स्तर पर ही इनकी दरें निर्धारित कर मनमर्जी से दाम वसूल रहे हैं।
स्वीकृत एक, मिलेंगी अनेक
ग्रामीणों ने बताया कि कस्बे में आबकारी विभाग ने एक ही दुकान पर शराब बेचने का लाइसेंस दे रखा है। बताया जाता है कि ठेकेदार की मिलीभगत से यहां अनेक दुकानें संचालित हैं। लोगों का कहना है कि दुकान वालों को ठेकेदार कथित रूप से कमीशन लेकर माल सप्लाई करता है।
रात में सेवा शुल्क
रात आठ बजे बाद आने वाल सुरा प्रेमियों को अतिरिक्त शुल्क देना पडता है। ठेके पर शराब की दरें दिन में अलग होती है लेकिन रात आठ बजे बाद इनकी दरों में 25 फीसदी तक वृद्धि हो जाती है। राजमार्ग से सटे ढाबों में तो शराब सदैव तैयार मिलती है।
जो बोल दिया, वही दाम
क्षेत्र की दुकानों पर शराब की एमआरपी दरों से कोई लेना-देना नहीं। विक्रेता अपने स्तर पर ही इनकी दरें निर्धारित कर मनमर्जी से दाम वसूल रहे हैं।
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