तेरापंथ के 11वें अधिष्ठाता आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में आगामी सात सितम्बर को तेरापंथ की उदगम स्थली के रुप में विख्यात केलवा में दीक्षा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस महोत्सव के दौरान गुजरात राज्य के सूरत निवासी मुमुक्षु चेतना और पंजाब के जगराओं निवासी मुमुक्षु अश्विनी कुमार को दीक्षा दी जाएगी। कार्यक्रम की सफल क्रियान्विति को लेकर प्रारंभिक तैयारियां शुरू हो गई है।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी ने बताया कि सूरत निवासी मुमुक्षु सुश्री चेतना की शोभायात्रा तेरापंथ समाज केलवा के तत्वावधान में 6 सितम्बर को दोपहर दो बजे निकाली जाएगी। मंगल भावना समारोह शाम साढे सात बजे शांतिदूत आचार्यश्री के सान्निध्य में आयोजित होगा। कोठारी ने बताया कि मुमुक्षु चेतना का जन्म 12 मई 1991 को उदयपुर जिले के सायरा कस्बे में हुआ था। बीए द्वितीय वर्ष तक अध्ययन कर चुकी इस मुमुक्षु के मन में वैराग्य का भाव 10 वर्ष की उम्र में उत्पन्न हुआ था। इन्हंे वैराग्य की प्रेरणा मुनिश्री देवराज स्वामी और उनके दादा-दादी, मम्मी-पापा से मिली। चांदमल-राजश्रीबेन कावडिया की सुपुत्री चेतना ने आचारबोध, व्यवहारबोध, संस्कारबोध, भक्तामर, श्रावक प्रतिक्रमण, श्रावक बोल, तत्व चर्चा, कालू तत्वशतक, आलम्बनसूत्र, संघीयगीत, इक्कीस द्वार,जैन तत्व प्रवेश, कर्तव्य षट्त्रिशिता, साधु प्रतिक्रमण, तेरापंथ प्रबोध और 50 श्लोक का ज्ञान अर्जित है। उन्हे प्रतिक्रमण आदेश चूरू जिले के राजलदेसर कस्बे में 8 फरवरी 2011 को और दीक्षा आदेश 9 जुलाई को राजसमंद जिले के रीछेड गांव में दिया गया था।
कोठारी ने बताया कि मुमुक्षु अश्विनी का जन्म एक सितम्बर 1983 को पंजाब जिले के जगराओं गांव में हुआ था। प्रेमचंद और संतोष जैन के परिवार में जन्में इस मुमुक्षु ने स्नातक तक शिक्षा और छट्ठी तक तत्वज्ञान द्वितीय वर्ष का ज्ञान अर्जित किया है। इन्होंने भक्तामर स्त्रोत, कल्याण मंदिर, आलम्बन सूत्र, रत्नाकर-पंचविंशिका, कर्तव्य-षद् त्रिंशिका, चतुर्विंशति-गुण,गेय गीति, पच्चीस बोल, पच्चीस बोल पर चर्चा, कालू तत्व शतक, इक्कीस द्वार, पच्चीस बोल पर चतुर्भंगी, आचार बोध, व्यवहार बोध, संस्कार बोध, तेरापंथ प्रबोध, अष्टकम् चार, विघ्नहरण ढाल, मुणिन्द मोरा ढाल, सिन्दूर प्रकार और श्रमण प्रतिक्रमण का ज्ञान अर्जित किया है। कोठारी ने बताया कि इन्होंने 11 मार्च 2011 को संस्था में प्रवेश किया था। 20 जून को चारभुजा में प्रतिक्रममण और 27 जुलाई को केलवा में दीक्षा का आदेश हुआ था।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी ने बताया कि सूरत निवासी मुमुक्षु सुश्री चेतना की शोभायात्रा तेरापंथ समाज केलवा के तत्वावधान में 6 सितम्बर को दोपहर दो बजे निकाली जाएगी। मंगल भावना समारोह शाम साढे सात बजे शांतिदूत आचार्यश्री के सान्निध्य में आयोजित होगा। कोठारी ने बताया कि मुमुक्षु चेतना का जन्म 12 मई 1991 को उदयपुर जिले के सायरा कस्बे में हुआ था। बीए द्वितीय वर्ष तक अध्ययन कर चुकी इस मुमुक्षु के मन में वैराग्य का भाव 10 वर्ष की उम्र में उत्पन्न हुआ था। इन्हंे वैराग्य की प्रेरणा मुनिश्री देवराज स्वामी और उनके दादा-दादी, मम्मी-पापा से मिली। चांदमल-राजश्रीबेन कावडिया की सुपुत्री चेतना ने आचारबोध, व्यवहारबोध, संस्कारबोध, भक्तामर, श्रावक प्रतिक्रमण, श्रावक बोल, तत्व चर्चा, कालू तत्वशतक, आलम्बनसूत्र, संघीयगीत, इक्कीस द्वार,जैन तत्व प्रवेश, कर्तव्य षट्त्रिशिता, साधु प्रतिक्रमण, तेरापंथ प्रबोध और 50 श्लोक का ज्ञान अर्जित है। उन्हे प्रतिक्रमण आदेश चूरू जिले के राजलदेसर कस्बे में 8 फरवरी 2011 को और दीक्षा आदेश 9 जुलाई को राजसमंद जिले के रीछेड गांव में दिया गया था।
कोठारी ने बताया कि मुमुक्षु अश्विनी का जन्म एक सितम्बर 1983 को पंजाब जिले के जगराओं गांव में हुआ था। प्रेमचंद और संतोष जैन के परिवार में जन्में इस मुमुक्षु ने स्नातक तक शिक्षा और छट्ठी तक तत्वज्ञान द्वितीय वर्ष का ज्ञान अर्जित किया है। इन्होंने भक्तामर स्त्रोत, कल्याण मंदिर, आलम्बन सूत्र, रत्नाकर-पंचविंशिका, कर्तव्य-षद् त्रिंशिका, चतुर्विंशति-गुण,गेय गीति, पच्चीस बोल, पच्चीस बोल पर चर्चा, कालू तत्व शतक, इक्कीस द्वार, पच्चीस बोल पर चतुर्भंगी, आचार बोध, व्यवहार बोध, संस्कार बोध, तेरापंथ प्रबोध, अष्टकम् चार, विघ्नहरण ढाल, मुणिन्द मोरा ढाल, सिन्दूर प्रकार और श्रमण प्रतिक्रमण का ज्ञान अर्जित किया है। कोठारी ने बताया कि इन्होंने 11 मार्च 2011 को संस्था में प्रवेश किया था। 20 जून को चारभुजा में प्रतिक्रममण और 27 जुलाई को केलवा में दीक्षा का आदेश हुआ था।
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