Sunday, August 21, 2011

आत्म साधना की पुष्टता आवश्यक-आचार्यश्री महाश्रमण


तेरापंथ के 11वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा कि आज के परिवेश में जिस व्यक्ति की आत्म साधना जितनी पुष्ट होगी उतनी ही उसे आनंद की अनुभूति का अहसास होगा। मानव जाति में शांति का भाव बनाए रखने के लिए व्यापक प्रयास करने की आवश्यकता है। हमें यह प्रयास करना है कि सहज, निरपेक्ष, निर्विकार आनंद का महसूस करें। इसकी प्राप्ति तभी हो सकती है जब हमारा चित्त विशुद्ध हो। हम सभी को अपने दायित्व के प्रति जागरुक और सेवा की भावना प्रबल होनी चाहिए। हमें अपने जीवन को सदाचार और सत्याचरण से जोडना होगा। उक्त उद्गार आचार्यश्री ने रविवार को यहां तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास में दैनिक प्रवचन के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने साधु-संतों की वाणी को एक पंखें की हवा के माफिक बताते हुए कहा कि जिस तरह से पंखा हवा को चहुंओर फैंकता है और लोगों को राहत प्रदान करता है उसी तरह धर्म की वाणी को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता हैं, ताकि इसका विकास और विस्तार संभव हो सके। संबोधि के चौथे अध्याय में उल्लेखित भगवान महावीर की बातों को प्रकट करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि व्यक्ति में यह भावना होनी अत्यंत आवश्यक है कि वह शांति से अपना जीवन व्यतीत करें। इससे समाज और देश में अशांति की स्थिति कभी उत्पन्न होने की संभावना क्षीण हो जाएगी। प्रत्येक व्यक्ति को यह चिंतन करना चाहिए कि समाज के विकास में कैसे योगदान कर सकते है। व्यक्ति को अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में हालात को देखते हुए ढालने की आवश्यकता है। अनुकूल हालत में अत्यधिक हर्षित होने की जरुरत नहीं है और प्रतिकूल स्थिति में समता रखने का प्रयास करें। एक साधु को अपने जीवन में जितने आनंद की अनुभूति होती है उतनी देवता को भी नहीं होती।
रक्षक और रोहिणी बनने का प्रयास करें
उन्होंने तेरापंथी महासभा को महत्वपूर्ण संस्था बताते हुए कहा कि महासभा के पदाधिकारी निष्ठावान हो। जीवन अच्छा हो और महासभा को समय दे सकें, तभी यह विकास के पथ पर आगे बढ सकता है। यह स्थिति महासभा के कार्यकाल में पदाधिकारियों के समक्ष नहीं आने चाहिए कि जिस समय उन्होंने गरिमामय पद की बागडोर संभाली और महासभा की स्थिति थी वही बरकरार रहे। उन्हें चाहिए कि वे संख्या को बढाने के साथ ही समाज को संभालने का काम करें। उन्होंने एक सेठ और चार बहुओं का वृतांत प्रस्तुत करते हुए महासभा के पदाधिकारियों से आहृान किया कि वे रक्षक और रोहिणी बनने का प्रयास करें। फंड को बरकरार रखें। इसे घटाने की अपेक्षा इसमें आशातीत वृद्धि का प्रयास करें। निर्वाचित पदाधिकारी यह देखे कि उनके समय में ज्ञानशाला के बच्चों की संख्या, उपासकों की स्थिति पर ध्यान रखें। पदाधिकारियों का यह प्रयास होना चाहिए कि वे स्वयं सामायिक आदि धार्मिक कार्य करते हुए लोगों को उसके लिए प्रेरणा दें।
आचार्यश्री ने तेरापंथ भवन के उपयोग को लेकर कहा कि भवन का कुछ अंश भले ही सामाजिक कार्यों में उपयोग के लिए दिया जाए, किंतु एक स्थान ऐसा अवश्य होना चाहिए जहां उपासना, सामयिक, आसन, प्राणायाम, प्रेक्षाध्यान एवं अन्य धार्मिक कार्य संचालित हो सके। पदाधिकारियों से उन्हांेने कहा कि वे अणुव्रत के काम में सहयोगी बने। एक अणुव्रत प्रकोष्ठ का गठन कर संयोजक की नियुक्ति की जानी चाहिए। उन्होंने संपूर्ण तेरापंथी श्रावक समाज को सुझाव दिया कि वे अपने कार्यों, व्यवहारों से जैनत्व का भाव प्रकट करें और अपने कार्यालयों, प्रतिष्ठानों, दुकानों आदि में भगवान महावीर, आचार्य भिक्षु और तेरापंथ के अन्य आचार्यों के चित्र लगाएं। इस अवसर पर मुनि विजयकुमार, मुनि जयंत कुमार, मुनि प्रशन्नकुमार, मुनि पानमल, मुनि किशनलाल, मुनि सुखलाल आदि ने विचार व्यक्त किए। आचार्यश्री ने अमरीका यात्रा के लिए रवाना हुए समण सिद्धप्रज्ञ को आशीर्वाद प्रदान किया। उदयपुर जिले के कानोड कस्बे के निवासी शिवराज बाबेल की सपत्नीक 30 की तपस्या करने पर प्राख्यान दिया। इनके अनुमोदना में कानोड महिला मंडल की सदस्याओं ने गीत प्रस्तुत किया। संचालन मुनि मोहजीत कुमार ने किया।
छोटा पड गया पांडाल
शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण के मुखवृंद से बहने वाली प्रवचन की रसधारा का श्रवण करने के लिए रविवार को देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों लोगों की भीड उमड पडी। इससे पांडाल छोटा पड गया। अनेक महिला एवं पुरुषों की हालत तो यह थी कि उन्हें बैठने की जगह ही नहीं मिली। ऐसे में उन्हें डेढ घंटे तक खडे रहकर प्रवचन सुनना पडा। यही नहीं आचार्यश्री के दर्शन के लिए लोगांे की लंबी कतार थी।
योगक्षेम निर्वहन विषय पर व्यापक चर्चा
केलवाः 21 अगस्त
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के पहले दिन दोपहर बाद से देर रात तक चले सत्र में योगक्षेम निर्वहन विषय पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष चैनरूप चिण्डालिया ने योगक्षेम की परिकल्पना और पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और तेरापंथ धर्मसंघ के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और मानव कल्याण के क्षेत्र में अब तक हुए विकास को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली है कि हमें तेरापंथ धर्मसंघ जैसा महान धर्मसंध प्राप्त हुआ है। क्रांतद्रष्टा आचार्य भिक्षु और परवर्ती आचार्यांे द्वारा प्रदत परंपरा का पालन करते हुए इस धर्मसंघ ने क्रमशः नई ऊंचाई प्राप्त की। गणाधिपति गुरूदेव श्री तुलसी ने शुद्धाचार के पालन और स्वयं तथा दूसरांे के कल्याण के लिए कार्य करने का सूत्र दिया। आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने अहिंसा जीवन विज्ञान जैसे मानव मूल्यों की प्रतिष्ठापना की। आचार्यश्री महाश्रमण के नेतृत्व में तेरापंथ नवोत्थान की ओर प्रस्थित है। उन्होंने योगक्षेम निर्वहन के लिए अनुशासन, संस्कार, निर्माण, सामाजिक पारिवारिक सामजंस्य, समाज के प्रति उत्तरदायित्व, स्वस्थ और सक्षम समाज की संरचना आदि पर जोर डाला।
मुनि कुमारश्रमण ने तेरापंथ धर्मसंघ के अभ्युदय के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और योगक्षेम की प्राप्ति के संदर्भ में कहा कि हम अपने जीवन में उन चीजों का संग्रह करने का प्रयास करते है और सुरक्षित रखते है जो हमारे लिए उपयोगी है। उन चीजों का त्याग करते है जो हमारे लिए हितकर नहीं है। उन्होंने ज्ञानशाला, उपासक श्रेणी, मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना को महत्वपूर्ण बताते हुए ऐसे उपक्रमों के विस्तार की आवश्यकता जताई। जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की कुलपति समणी चारित्रप्रज्ञा ने योगक्षेम प्रबंधन के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। इसके लिए सकारात्मक प्रवृति पर विशेष बल दिया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की कोषाध्यक्ष श्रीमती कल्पना बैद ने कहा कि महिलाएं आज घर की चारदीवारी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर क्षेत्र में अपना सक्रिय योगदान देना शुरू कर दिया है। महलाओं को उनका अपेक्षित देय प्राप्त होना चाहिए और उन्हें भी सेवा का उत्तरदायित्व प्रदान करने की पहल होनी चाहिए। तृतीय सत्र में जैन विश्व भारती के अध्यक्ष सुरेन्द्र चोरडिया ने सभा के विकास सूत्र की जानकारी दी। इस अवसर पर जैन श्वैताम्बर तेरापंथी महासभा के राष्ट्रीय संगठन प्रभारी विजयसिंह चोरडिया, आचार्य महाश्रमण अमृत महोत्सव के संयोजक और महासभा के उपाध्यक्ष ख्यालीलाल तातेड, जैन श्वैताम्बर तेरापंथी महासभा के निवर्तमान अध्यक्ष जसकरण चोपडा आदि ने विचार व्यक्त किए।
अणुव्रत महासमिति कार्यसमिति के पदाधिकारियों की घोषणा
तेरापंथ के 11वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण के सान्निध्य में रविवार को अध्यक्ष बाबूलाल गोलछा {दिल्ली} ने अणुव्रत महासमिति कार्यसमिति के पदाधिकारियों की घोषणा की। इसमें उपाध्यक्ष कन्हैयालाल गीडिया{ बैंगलौर}, डालचंद कोठारी{ मुंबई}, कमलेश भादानी {तिरिपुर} महामंत्री सम्पत शामसुखा {भीलवाडा}, कोषाध्यक्ष रतनलाल सुराणा {दिल्ली}, संयुक्त मंत्री श्रीमती सुमन नाहटा{दिल्ली}, शिक्षा मंत्री श्रीमती रोजी गोयल{जगराओ}, संगठनमंत्री प्रो. देवेन्द्र जैन { भिवानी}, श्रीमती पुष्पा सिंघी {कटक} तथा अशोकभाई सिंघवी {पसाडा, गांधीधाम} को शामिल किया गया। इसके अलावा संरक्षक में राजसमंद के डा. महेन्द्र कर्णावट, कोयम्बटूर के निर्मल एम रांका तथा जयपुर के जीएल नाहर को मनोनीत किया गया। कार्यसमिति में 20 जनों को आमंत्रित सदस्य तथा 24 जनों को बतौर सदस्य के रुप में शामिल किया गया है।

सभी माइंसें आज रहेगी बंद, नहीं होगा लदान
केलवाः 21 अगस्त
गांधीवादी विचारक अन्ना हजारे की ओर से देशभर में भ्रष्टाचार के विरोध में चल रहे आंदोलन के समर्थन में राजसमंद मार्बल माइन ऑनर्स एसोसिएशन ने सोमवार को सभी माइंसें बंद रखने का निर्णय किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष तनसुख बोहरा ने बताया कि बंद के दौरान सभी माइंसों पर डिस्पेच और लदान का कार्य नहीं होगा। सुबह 10 बजे माइंस ऑनर्स राजसमंद जिला मुख्यालय स्थित पुरानी कलक्ट्री एकत्र होंगे, जहां से वे जुलूस के रुप में कलक्टर कार्यालय पहुंचेंगे और उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे। बोहरा ने सभी माइंस ऑनर्स से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचे की अपील की।


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