Friday, January 16, 2009

सुदाम स्मृति काव्य गोष्ठी

राजसमन्द। राजसमन्द में प्रतिस्पर्धात्मक तैराकी कला के द्रोणाचार्य एवं श्री सुदाम गुरूकुल के संस्थापक डीडी वर्मा सुदाम की दसवीं पुण्यतिथि के अवसर पर शुक्रवार को लाल बंगला पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी में साहित्यकारें, लेखकें एवं कवियें ने अपनी प्रस्तुतियां दी। जिसमें कवि अरूण कान्त सांचीहर ने शुन्य पर अपनी रचना हे निराश्रय पर देता सबको प्रश्रय, शून्य हे आरोह स्वर का सुना कर सभी में जोश का संचार किया। काव्यगोष्ठी में युवा कवि भगवती नन्दन भारत ने आतंकवाद पर करारा प्रहार करते हुए देश भक्ति से ओतप्रोत रचना अगर आज हुकुमत दिल्ली पर सुभाष बोस की होती पाकिस्तान तो क्या चाईना की फाईल भी निपट चुकी होती सुना कर खूब तालियां बटोरी।काव्यगोष्ठी के प्रारंभ में तैराकी संस्थान के अध्यक्ष विनोद सनाढ्य ने अतिथियों का स्वागत किया एवं श्री सुदाम के चित्र पर पुष्पांजलि और मौन रखकर सद्गुरू को याद किया। मंच संचालन मनोहर गिरी गोस्वामी एवं कवि सुनील `सुनील' ने किया।साहित्यकार एवं कवि फतहलाल अनोखा ने टीवी के प्रदर्शन पर ऐसे टीवी को चल गयो चल्ला, बदल गये लल्ली और लल्ला, कवि दुगाशंकर मधु ने जीवन सांची प्रीत और मीठे व्यवहार, नीत होली, नीत दीवाली सुदाम का दरबार और अर्य दुध सा उज्ज्वल हो तो कलम काला ही लिखे तो क्या सुनाकर सुदाम को श्रद्धांजलि दी। कवि अफजल खां अफजल ने श्रीमान् ये क्या हो रहा काले को काला और सफेद को सफेद कहने में शर्म आ रही है, मांगीलाल अफंगी ने सुदाम जिनका नाम रे हंसाते सुबह और साम रे, साहित्यकार कवि कमर मेवाडी, ईश्वरलाल शर्मा, धीरेन्द्र शिल्पी, प्रमोद सनाढय़, कृष्णकान्त सांचीहर, सूर्यप्रकाश दीक्षित ने भी रचनाएं प्रस्तुत की। संगोष्ठी में डॉ राकेश तेलंग, पत्रकार अरविन्द मुखिया, गोविन्द सनाढय़, प्रदीप पालीवाल, पालिकाध्यक्ष अशोक रांका, महेश पालीवाल, छनुसिंह चौधरी, नरेन्द्र चौधरी, ओम पुरोहित ने भी विचार व्यक्त किए।

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