राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि क्रोध नरक और क्षमा स्वर्ग है। क्रोध ऐसी आग है जो सदगुणें के बाग को जलाकर राख कर देती है। उन्होने क्रोध को शूल और क्षमा को फूल की संज्ञा देते हुए कहा जीवन की बगिया को क्षमा के फूलो से सजाना चाहिए। उक्त विचार मुनि ने मंगलवार को भिक्षु बोधि स्थल में प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।उन्होने कहा कि क्रोध की स्थिति मं लिया हुआ निर्णय सही नहीं होता कोई भी कदम उठाने से पहले शांत चित्त होकर विचार करना जरूरी है। क्रोध प्रेमनाशक है। हम क्रोध का नाश करने के लिए उपशान्त के उपासक बने। क्रोध एक प्रकार का अंगारा होता है, हमें उसके खिलाफ जलधारा बन जाना चाहिए। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल एवं मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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