Monday, January 26, 2009

भूण हत्या से मानसिक, पारिवारिक एवं सामाजिक संताप बढ रहे

राजसमन्द। समाज में बढ रही महिला हिंसा एवं उत्पीड़न के संदर्भ में विराट महिला सम्मेलन गांधी सेवा सदन में पुष्पा कर्णावट की अध्यक्षता में हुआ। सम्मेलन के प्रमुख वक्ता अणुव्रत महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ महेन्द्र कर्णावट ने कहा बढती हिंसा की चित्कार से हम सभी पीडित है। साम्प्रदायिक हिंसा, आतंकी हिंसा, युद्ध और लडाई-झगडों से उपजी हिंसा हमारा ध्यान बांट रही है पर दैनिक जीवन में अप्रत्यक्ष हिंसा के स्वर जिस तेजी से उभर रहे है उसके खतरो के प्रति हम मौन है। नरेन्द्र निम्रल ने कहा कि इन भूण हत्याआंð से मानसिक, पारिवारिक एवं सामाजिक संताप बढ रहे है। जिनका प्रमुख करण है हमारी सामाजिक व्यवस्थाएं लडको की चाह एवं दहेज क विभीषिका। वंश को आगे बढाने के लिए लडको की चाह ने देश के लडके लडकियें के आनुवांशिक अनुपात को गड़बड़ा दिया है। निर्मल ने श्रव्य एवं दृश्य के माध्यम से अपने विषय को प्रतिपादित किया। विद्या त्रिपाठी ने कन्या भूण हत्या पर प्रकाश डाला। योगबाला गुप्ता ने ग्रामीण परिवेश में महिलाओ का शोषण कैसे हो रहा है का विवेचन किया। ज्योति बिष्ठ ने नारी उत्पीडन के वैज्ञानिक तथ्यें की प्रस्तुति की। शिक्षाविद कमला शर्मा ने कहा परिवार समाज की इकाईहे वह जितना मजबूत होता है समाज की शक्ति उतनी ही बढती है। परिवार और समाज की धुरी महिला है। हमारे देश में महिला को देवी मां का दर्जा दिया गया है, उसके विविध रूपें का हम दर्शन करते है। यह दुर्भाग्यनहीं तो क्या है कि उसी नारी जाति का हमारे देश में अनादर होता है। वर्षा पालीवाल ने घरेलू हिंसा एवं उत्पीडन के संदर्भ में कानूनी बिन्दुओ को रेखांकित किया। विद्या शर्मा ने समागत परिषद का स्वागत किया। लक्ष्मी जैन ने महिला जागरण गीत का संगान किया तो बाल निकेतन की छात्राआंð ने राष्टभक्ति गीत प्रस्तुत किया। पुष्पा कर्णावट ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा भारत सरकार ने महिलाआंð को घरेलू हिंसा एवं उत्पीडन से निजात दिलाने के लिए घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 में विविध सूविधाएं एवं अधिकार दिए है। जिनका हमें उपयोग करना चाहिए।

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