राजसमन्द। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा सोमवार रात को तब देखने को मिली जब अपने ही क्षेत्र के व्यक्ति को घायल पड़ा हुआ देखने के बावजूद उसे लोग पहचान नहीं पाए वहीं घायल व्यक्ति के साथ एम्बूलेंस में जाने के लिए भी कोई तैयार नहीं हुआ लेकिन आपातकालीन सेवा 108 ने संवेदनशीलता दिखाते हुए न केवल अनजान घायल को प्राथमिक उपचार दिया बल्कि की उसकी जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।
वाकया सोमवार रात करीब 11 बजे का है। जब धोइंदा चौराहा पर स्कूटर चालक सुरेश पुत्र डालचंद दुर्घटनाग्रस्त होकर सड़क किनारे पड़ा हुआ था। इसी दौरान यहां से गुजरी बस में सवार यात्री अलवर निवासी सत्यप्रकाश ने आपातकालीन सेवा 108 को फोन कर दुर्घटना की सूचना दी जिस पर 108 के कार्मिक हितेश रेगर व विक्रम सिंह वाहन सहित मौके पर पहुंचे। घटनास्थल पर उस वक्त करीब 50 लोग खडे हुए थे लेकिन उनमें से किसी ने आपातकालीन सेवा को फोन नहीं किया। यही नहीं सुरेश पुत्र डालचंद स्थानीय निवासी होने के बावजूद किसी ने उसे पहचाना नहीं और उसके साथ चिकित्सालय तक चलने के लिए राजी नहीं हुआ। आपातकालीन सेवा कार्मिकों ने घायल को प्राथमिक उपचार के बाद आरके चिकित्सालय पहुंचाया। कार्मिकों ने आमजन से अपील की है कि दुर्घटना एवं आपातकालीन परिस्थितियों में 108 पर फोन करने से किसी व्यक्ति की जान बच सकती है। यह सेवा 24 घंटे और सप्ताह के सात दिन सुचारू रहती है।
वाकया सोमवार रात करीब 11 बजे का है। जब धोइंदा चौराहा पर स्कूटर चालक सुरेश पुत्र डालचंद दुर्घटनाग्रस्त होकर सड़क किनारे पड़ा हुआ था। इसी दौरान यहां से गुजरी बस में सवार यात्री अलवर निवासी सत्यप्रकाश ने आपातकालीन सेवा 108 को फोन कर दुर्घटना की सूचना दी जिस पर 108 के कार्मिक हितेश रेगर व विक्रम सिंह वाहन सहित मौके पर पहुंचे। घटनास्थल पर उस वक्त करीब 50 लोग खडे हुए थे लेकिन उनमें से किसी ने आपातकालीन सेवा को फोन नहीं किया। यही नहीं सुरेश पुत्र डालचंद स्थानीय निवासी होने के बावजूद किसी ने उसे पहचाना नहीं और उसके साथ चिकित्सालय तक चलने के लिए राजी नहीं हुआ। आपातकालीन सेवा कार्मिकों ने घायल को प्राथमिक उपचार के बाद आरके चिकित्सालय पहुंचाया। कार्मिकों ने आमजन से अपील की है कि दुर्घटना एवं आपातकालीन परिस्थितियों में 108 पर फोन करने से किसी व्यक्ति की जान बच सकती है। यह सेवा 24 घंटे और सप्ताह के सात दिन सुचारू रहती है।
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