राजसमन्द। परिसिमन के बाद चार जिलो को शामिल कर अस्तित्व में आयी नवसृजित राजसमन्द सामान्य लोकसभा सीट के लिए पहली बार हो रहे चुनाव में कहीं भी चुनावी माहौल नजर नहीं आ रहा है। करीब 400 किमी दूरी तक फैले क्षेत्र में कब कौन कहां जा रहा है पता ही नहीं चल रहा है।
राजसमन्द जिले की चार नाथद्वारा, राजसमन्द, कुंभलगढ एवं भीम विधानसभा क्षेत्र के अलावा नागौर जिले की मेडता व डेगाना, पाली जिले की जैतारण तथा अजमेर जिले की ब्यावर विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर बनी राजसमन्द लोकसभा सीट ने दोनो ही प्रमुख दलाें के राजनीतिक समीकरण गडबडा दिए है। कांग्रेस एवं भाजपा दोनो की प्रमुख दलाें के उम्मीदवार राजसमन्द के लिए नए है। दोनो का राजनीतिक कार्य क्षेत्र जिले से बाहर रहा है इसलिए दोनो ही दलाें के स्थानीय कार्यकर्ताआें एवं नेताआें में उत्साह नहीं है और चुनाव प्रचार की सिर्फ रस्मअदायगी की जा रही है। कांग्रेस प्रत्याशी गोपालसिंह शेखावत अपने गृह जिले नागौर में तो भाजपा प्रत्याशी रासासिंह रावत ब्यावर में यादा समय दे रहे है। जिले में कहीं चुनाव काया्रलय खुले नहीं है और ना ही किसी दल का बैनर ही नजर आ रहा है। क्षेत्र में तीन जातियाें रावत, राजपूत एवं जाटाें का दबदबा है। रासासिंह रावत रावताें और शेखावत राजपूताें को एकजूट रखने की मशक्कत करने में लगे हैं। बसपा से नीरूराम जाट के उम्मीदवार होते ही फिल्म निर्माता केसी बोकाडिया ने भी निर्दलीय चुनाव लडने का मानस ही बदल दिया। बोकाडिया भी अपने समाज के वोट बैंक के भरोसे चुनाव लडना चाहते थे लेकिन बसपा ने जाट को टिकट देकर उनके मंसूबाें पर पानी फेर दिया। इस बार चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे तेरह उम्मीदवाराें में से केवल एक भंवरलाल माली ही राजसमन्द जिले के निवासी है बाकी सब जिले के बाहर से है। गोपालसिंह इंडियन नेशनल कांग्रेस से, नीरूराम बहुजन समाजवादी पार्टी, रासासिंह रावत भारतीय जनता पार्टी, देवराम इंडियन जस्टिस पार्टी, महेन्द्र सिंह लोक जनशक्ति पार्टी, रमेश सोलंकी अखिल भारतीय कांग्रेस दल (अम्बेडकर) से तथा डॉ गणपत बंसल, गिरधारी सिंह, पृथ्वीसिंह उर्फ पृथ्वीराज सिंह, भंवरलाल माली, मांगीलाल रावल, सुखलाल गुर्जर तथा सूर्य भवानी सिंह छावरा निर्दलीय प्रत्याशियाें के रूप में चुनाव मैदान में है। चुनाव मेवाड में हो रहे हैं और चुनावी रंगत मारवाड में जमी है यही नहीं जिले में भी दोनो ही दलों के प्रत्याशियाें ने जनसम्पर्क किया तो भी स्थानीय से अधिक मारवाड के कार्यकर्ता ही नजर आए। राजनीतिक दलाें के कार्यकर्ताआें के अलावा आम मतदाताआें को तो अभी यह भी पता नहीं है कि चुनाव कौन लड रहा है। कोई बडा चुनावी मुद्दा नहीं होने से चुनाव के परिणाम जातिवादी राजनीति पर ही निर्भर हाेंगे। रावत, जाट एवं राजपूत जाति के निर्णायक वोट होने से जो भी प्रत्याशी अपनी जाति के अलावा अन्य जाति के वोटाें में सेंध मारी करने में सफल रहा उसका बेडा पार है। लोकसभा क्षेत्र में आ रही आठ विधानसभाआें में से छह पर भाजपा का कब्जा है वहीं दो सीधे कुंभलगढ व जैतारण में कांग्रेस के विधायक है। बहरहाल मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही है लेकिन बसपा की उपस्थिति को भी नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता।
राजसमन्द जिले की चार नाथद्वारा, राजसमन्द, कुंभलगढ एवं भीम विधानसभा क्षेत्र के अलावा नागौर जिले की मेडता व डेगाना, पाली जिले की जैतारण तथा अजमेर जिले की ब्यावर विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर बनी राजसमन्द लोकसभा सीट ने दोनो ही प्रमुख दलाें के राजनीतिक समीकरण गडबडा दिए है। कांग्रेस एवं भाजपा दोनो की प्रमुख दलाें के उम्मीदवार राजसमन्द के लिए नए है। दोनो का राजनीतिक कार्य क्षेत्र जिले से बाहर रहा है इसलिए दोनो ही दलाें के स्थानीय कार्यकर्ताआें एवं नेताआें में उत्साह नहीं है और चुनाव प्रचार की सिर्फ रस्मअदायगी की जा रही है। कांग्रेस प्रत्याशी गोपालसिंह शेखावत अपने गृह जिले नागौर में तो भाजपा प्रत्याशी रासासिंह रावत ब्यावर में यादा समय दे रहे है। जिले में कहीं चुनाव काया्रलय खुले नहीं है और ना ही किसी दल का बैनर ही नजर आ रहा है। क्षेत्र में तीन जातियाें रावत, राजपूत एवं जाटाें का दबदबा है। रासासिंह रावत रावताें और शेखावत राजपूताें को एकजूट रखने की मशक्कत करने में लगे हैं। बसपा से नीरूराम जाट के उम्मीदवार होते ही फिल्म निर्माता केसी बोकाडिया ने भी निर्दलीय चुनाव लडने का मानस ही बदल दिया। बोकाडिया भी अपने समाज के वोट बैंक के भरोसे चुनाव लडना चाहते थे लेकिन बसपा ने जाट को टिकट देकर उनके मंसूबाें पर पानी फेर दिया। इस बार चुनाव मैदान में भाग्य आजमा रहे तेरह उम्मीदवाराें में से केवल एक भंवरलाल माली ही राजसमन्द जिले के निवासी है बाकी सब जिले के बाहर से है। गोपालसिंह इंडियन नेशनल कांग्रेस से, नीरूराम बहुजन समाजवादी पार्टी, रासासिंह रावत भारतीय जनता पार्टी, देवराम इंडियन जस्टिस पार्टी, महेन्द्र सिंह लोक जनशक्ति पार्टी, रमेश सोलंकी अखिल भारतीय कांग्रेस दल (अम्बेडकर) से तथा डॉ गणपत बंसल, गिरधारी सिंह, पृथ्वीसिंह उर्फ पृथ्वीराज सिंह, भंवरलाल माली, मांगीलाल रावल, सुखलाल गुर्जर तथा सूर्य भवानी सिंह छावरा निर्दलीय प्रत्याशियाें के रूप में चुनाव मैदान में है। चुनाव मेवाड में हो रहे हैं और चुनावी रंगत मारवाड में जमी है यही नहीं जिले में भी दोनो ही दलों के प्रत्याशियाें ने जनसम्पर्क किया तो भी स्थानीय से अधिक मारवाड के कार्यकर्ता ही नजर आए। राजनीतिक दलाें के कार्यकर्ताआें के अलावा आम मतदाताआें को तो अभी यह भी पता नहीं है कि चुनाव कौन लड रहा है। कोई बडा चुनावी मुद्दा नहीं होने से चुनाव के परिणाम जातिवादी राजनीति पर ही निर्भर हाेंगे। रावत, जाट एवं राजपूत जाति के निर्णायक वोट होने से जो भी प्रत्याशी अपनी जाति के अलावा अन्य जाति के वोटाें में सेंध मारी करने में सफल रहा उसका बेडा पार है। लोकसभा क्षेत्र में आ रही आठ विधानसभाआें में से छह पर भाजपा का कब्जा है वहीं दो सीधे कुंभलगढ व जैतारण में कांग्रेस के विधायक है। बहरहाल मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही है लेकिन बसपा की उपस्थिति को भी नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता।
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