Friday, April 24, 2009

क्रोध शूल और क्षमा फूल है : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि क्रोध शूल और क्षमा फूल है। अत: जीवन में शूलो को नहीं फूलाें को चुने। जीवन की बगिया क्षमा के जल से सरसब्ज होगी। क्रोध की आग से तो यह शांति का बाग जलकर राख हो जाएगा। उक्त विचार उन्होने गुरूवार को किशोरनगर स्थित चन्दन निवास पर आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा क्रोध नशा है। जिसके सेवन से आदमी बेभान होकर आपे से बाहर हो जाता है। क्रोधी व्यक्ति को करणीय-अकरणीय, उचित-अनुचित का भान नहीं रहता। क्रोध करने से स्वयं का नुकसान तो होता ही है इससे दूसराें का अहित भी हो सकता है। प्रवचन के प्रारंभ में मुनि विकास ने गीत का संगान किया। मुनि भवभूति और मुनि कोमल ने संयम धर्म की प्रेरणा दी। इस अवसर पर भंवरलाल कोठारी, गणेशलाल बडला, महेश कुमार लोढा, जगजीवन लाल चोरडिया, गणेशलाल कच्छारा, कमलेश बोहरा, गौतम छाजेड, हिम्मत कोठारी, श्रीमती शांता कोठारी, उर्मिला सोनी, सुशीला बडाला आदि अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
जगजीवन लाल चोरडिया ने बताया कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभ का अक्षय तृतीया से संबंधित विशेष संदेश मुनि तत्वरूचि तरूण रविवार 26 अप्रेल को किशोरनगर स्थित चन्दन निवास पर देंगे। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल व मुनि विकास भी विचार रखेंगे।

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