राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि क्रोध जहर और क्षमा अमृत है। जहर से तो केवल खाने वाला ही मरता है, परन्तु क्रोध ऐसा जहर है जिससे करने वाले को तो नुकसान होता ही है साथ ही दूसरे का अहित भी संभव है। उक्त विचार उन्होने मंगलवार को किशोरनगर में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि पारस्परिक प्रेम, सौहार्द और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए क्रोध को विफल करना जरूरी है। क्रोध एक करोत है जिससे सारे सम्बन्ध कट जाते हैं और टूट जाता है। मुनि ने कहा कि जो क्रोध को पी जाता है वह शिव बन जाता है लेकिन जिसे क्रोध पी जाता है वह शव बन जाता है। हमें शिव बनने के लिए क्रोध को पीना और अमृत उगलना है।
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