Sunday, April 26, 2009

हर्षोल्लास से मनाई भगवान परशुराम जयंती

राजसमन्द। समस्त ब्राह्मण समुदाय राजसमन्द के तत्वावधान में रविवार को भगवान परशुराम जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम संयोजक जगदीश पालीवाल ने बताया कि समस्त ब्राह्मण समुदाय की ओर से भगवान परशुराम की शोभायात्रा प्रभु द्वारकाधीश मंदिर प्रांगण से प्रात: साढे सात बजे प्रारंभ हुई। शोभायात्रा में महिलाएं केसरिया चुन्दडी व पीलिया पोशाकाें में मंगल कलश लिए चल रही थी। वहीं शोभायात्रा में ढोल नगाडे बैण्ड बाजे भक्ति गीताें की मधुर स्वर लहरियां बिखेर रहे थे। शोभायात्रा में झांकियाें में शिव-पार्वती-गणेश, श्रीराम, लक्ष्मण,सीता, हनुमान, कृष्ण, सुदामा भजन मंडली सप्त ऋषि झाेंिकयाें के रूप में ऊंट गाडियाें पर बिराजित थे साथ ही भगवान परशुराम महादेव की झांकी विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। शोभायात्रा द्वारकाधीश मंदिर से बडा दरवाजा, नया बाजार, बस स्टेण्ड, मुख्य चौपाटी, जेके मोड होती हुई विट्ठल विलास बाग पहुंच धर्मसभा में परिवर्तित हुई। शोभायात्रा के दौरान मार्ग में जगह जगह शहरवासियाें ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस दौरान हजाराें लोग उपस्थित थे। पालीवाल ने बताया कि शोभायात्रा के पश्चात विट्ठल विलास बाग में धर्मसभा का आयोजन किया गया। श्रीनाथजी मंदिर के बडे मुखिया नरहरि ठक्कर, अरूणकान्त सांचिहर, संस्कृत महाविद्यालय नाथद्वारा के प्राचार्य पंडित रामदेव शास्त्री, समाजशास्त्री डॉ रचना तेलंग, सर्व ब्राह्मण महासभा के संभागीय अध्यक्ष भगवानप्रसाद मेनारिया, स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र बागोरा आदि ने मां शारदा एवं भगवान परशुराम की छवि पर पुष्पमाला एवं दीप प्रावलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का आगाज ईश वन्दना से हुआ। धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए श्रीनाथजी मंदिर के बडे मुखिया नरहरि ठक्कर ने कहा कि भगवन परशुराम के आदर्शो पर चलने की आज की महत्ती आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि जिस प्रकार हनुमानजी ने पौरूष रूप धारण कर धर्म की विजय पताका फहराई ठीक उसी प्रकार भगवन परशुराम ने अधर्मियाें का नाश कर धर्मशक्ति को मजबूत किया। संस्कृत महाविद्यालय नाथद्वारा के प्राचार्य पं. रामदेव शास्त्री ने कहा कि भगवन परशुराम ने भगवन विष्णु के विशिष्ट अंग से अवतरित होकर अधर्म का नाश कर, सानों की पीडा को दूर किया। भगवान परशुराम ने चारों युग में अवतार लेकर सभी की पीडा का हरण किया। उन्होने कहा कि जब जब धरती पर अच्याचार बढता है भगवन किसी न किसी रूप में अवतार लेकर अत्याचार को समाप्त करते हैं। प्रभु के आदर्शों पर चलने से ही मनुष्य को अपने अंतिम समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है। सभा में अरूणकान्त सांचीहर ने कहा कि मनुष्य को ऐश्वर्य को छोडकर त्याग को अपनाना होगा। स्वतंत्रता सेनानी पं. रामचन्द्र बागोरा ने कहा कि जब जब राष्ट्र में अत्याचार बढे कोई विपदा आई उस समय ब्राह्मणाें के आदर्शो द्वारा उस पर चल कर विजय प्राप्त की गई एवं राष्ट्र को सुव्यवस्थित शासन दिया। सभा में वीर रस के कवि भगवतीनन्दन दाधीच ने भगवान परशुराम के वीर गाथा का उल्लेख करते हुए एक अकेले परशुराम से पूरा ब्रह्माण्ड डरा करता था विषय पर रचना प्रस्तुत कर माहौल को ओजस्वी बना दिया। समाजशास्त्री डा रचना तेलंग एवं भगवान प्रसाद मेनारिया ने वर्तमान की अवधारणा पर अपने विचार व्यक्त किए। धर्मसभा में अतिथियाें को स्वागत सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष ओम पुरोहित ने कुमकुम का तिलक लगा व माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत वन्दे मातरम के गान के साथ हुआ। कार्यक्रम में आभार हरिप्रकाश रणवा एवं संचालन दिनेश श्रीमाली ने किया। परशुराम जयंती महोत्सव कार्यक्रम में पालीवाल समाज, सनाढय समाज, खण्डेलवाल समाज, गुर्जर गौड समाज, गौड समाज, दाधीच समाज, नंदवाना समाज, नागदा ब्राह्मण समाज, पुष्करना ब्राह्मण समाज, खाण्डल विप्र समाज, देराश्री समाज, बडा नागदा समाज, औदिच्य समाज, आचार्य समाज, पूर्बिया ब्राह्मण समाज, श्रीमाली समाज, सांचिहर समाज सहित कांकरोली, किशोरनगर, धोइन्दा, जावद, सुन्दरचा, देवथडी, मुण्डोल, पूठोल, पीपरडा, मोरवड, पिपलांत्री, नान्दोली, भाटोली, भाणा, नोगामा, पीपली आचार्यान, कुंवारिया, तासोल, पसून्द, केलवा, बामनटूकडा, मजा सहित आसपास के विभिन्न क्षेत्राें के ब्राह्मण समाजाें के हजाराें प्रतिनिधियाें ने भाग लिया।

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