Thursday, January 1, 2009

बदहाल है राजसमन्द जिले की सडके

राजसमंद। शहर की बदहाल सडकों पर चलना जोखिम भरा होता जा रहा है। नगरपालिका , सांसद तथा विधायक मद से लाखों रूपए के खर्च के बावजूद सडकें बदहाल हंै। जिला मुख्यालय की हो या उपखण्ड मुख्यालय अथवा गांव-कस्बों की, सभी का यही हाल है। जिला मुख्यालय पर जलचक्की चौराहा से राजनगर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग तक की सडक इतनी संकडी है कि लोगों को 15 मिनट की दूरी तय करने में दुगुना समय लग जाता है। यातायात दबाव के चलते सुबह से देर शाम तक सडक पर मेले जैसी स्थिति होती है। सडक की दोनों ओर नालियां इतनी छोटी हैं कि घरों का गंदा पानी सडक पर फैला रहता है।ऎसे में अतिक्रमण कोढ में खाज की तरह है। शहर के मुख्य मार्गो के सौन्दर्यीकरण, उनके मरम्मत व डामरीकरण के लिए नगरपालिका, सांसद तथा विधायक मद से कई चरणों में लाखों रूपए पानी की तरह बहाए गए लेकिन सडकों की तस्वीर नहीं बदल सकी। राजनगर बस स्टैण्ड से सिटी अस्पताल तक सडक डामरीकरण के लिए नगरपालिका की ओर से वर्ष 2003-04 में आठ लाख 63 हजार रूपए खर्च किए गए। नाथद्वारा रोड से कमल तलाई रोड तक 50 फीट सडक पर वर्ष 2005-06 में चार लाख 10 हजार रूपए की लागत से मिट्टी डालने का कार्य कराया गया। इसी वर्ष में करीब नौ लाख 66 हजार रूपए खर्च कर सडक का डामरीकरण भी कराया गया। इसी क्रम में सौ फीट रोड की मरम्मत आदि में भी लाखों रूपए खर्च हुए । वर्ष 2004-05 में सांसद मद से किरण माहेश्वरी ने सडक मरम्मत के लिए 10 लाख रूपए तथा 2005-06 में कुंभलगढ विधायक ने भी 10 लाख रूपए दिए थे। तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक बंशीलाल खटीक ने भी वर्ष 2005-06 में विधायक मद से इतनी ही राशि सडक मरम्मत कार्यों के लिए दी थी। विभिन्न मदों से लाखों रूपए पानी की तरह बहाने के बावजूद सडकों की दशा में कोई खास सुधार नहीं हुआ।सौ फीट रोड पर कई जगह गड्डे हैं। डामरीकरण के अभाव में सडक से दिन भर धूल उडती रहती है जो संक्रामक बीमारियों को खुला निमंत्रण है। उबड-खाबड सडक पर चलना भी मुश्किल है। पचास फीट रोड की हालत ज्यादा खराब है। कदम-कदम पर गड्डे हैं।सडक के बीच बने डिवाइडर भी अस्तित्व खोने लगे हैं।

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