Wednesday, April 1, 2009

शांति के लिए अध्यात्म और व्यवहार का संतुलन जरूरी

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि शांति के लिए अध्यात्म और व्यवहार का सन्तुलन जरूरी है। अध्यात्म शून्य व्यवहार और व्यवहार शून्य अध्यात्म दोनो ही स्थितियां शांति व सामाजिकता के लिए अनुपयोगी है। व्यवहार की विशुध्दि के लिए आध्यात्मिकता जरूरी है। कोरी आध्यात्मिकता से भी जीवन नहीं चलता। इसलिए सामाजिकता के लिए व्यवहारकता होना भी जरूरी है। उक्त विचार उन्होने बुधवार को कांकरोली स्थित सुन्दर कोलोनी में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा चेतना का परिष्कृत न होना ही अशांति का मूल है। तन, मन और वाणी चेतना के द्वारा संचालित है। चेतना परिष्कृत होगी तभी हम स्वस्थ रह पाएंगे और आचार विचार भी पवित्र रह सकेगा।
भिक्षु भजन संध्या : मुनि तत्वरूचि तरूण के सान्निध्य में सुन्दर कोलोनी कांकरोली में मंगलवार रात्रि को भिक्षु भजन संध्या आयोजित की गई। कार्यक्रम मे मुनि तत्वरूचि ने सांवरिया स्वामीजी आओ आंगणे है .., विनोद कुमार पितलिया ने बाबा ने मनावां गावां गीत गणरा, श्रीमती पुष्पा डांगी ने रंगस्यू तो रंगमिल जाय.. सहित श्रीमती मंजू दक, राजश्री डांगी, श्रीमती पुष्पा कोठारी, जतन चोरडिया, मुनि कोमल, हरकलाल बाफना, रोशनलाल पोकरना, मुनि भवभूति, मुनि विकास, रतन सांखला, चन्द्रा, पितलिया ने भी भावपूर्ण प्रस्तुतियां दी।

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