Wednesday, April 15, 2009

कर्म के ज्ञान से जाने जीवन का मर्म : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि कर्म में कैद है जीवन का भेद। इसलिए जीवन का मर्म जानने के लिए कर्मवाद का ज्ञान जरूरी है। उक्त विचार उन्होने बुधवार को किशोरनगर स्थित चण्डालिया निवास पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कर्म का कर्ता ही भोक्ता होता है। ऐसा नहीं है कि कर्म करें कोई और भोगे कोई। व्यक्ति जैसे कर्म करता है वैसे ही फल को प्राप्त होता है। यह नहीं हो सकता कि बोये तो आक और पाए आम। मुनि ने दलिक और निकचित कर्म की चर्चा में कहा कि जिन कर्मों का शिथिल बंध होता है ऐसे दलिक कर्मों का धर्म ध्यान द्वारा खात्मा किया जा सकता है। उन्हें परिवर्तित भी नहीं किया जा सकता है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार रखे।
जगजीवन लाल चोरडिया ने बताया कि गुरूवार को किशोरनगर में मुनि तत्वरूचि तरूण का उदयपुर चातुर्मास करने वाली साध्वी कंचन प्रभा, साध्वी मंजू रेखा आदि से आध्यात्मिक मिलन होगा।

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