खमनोर । सरकारी प्रोत्साहन के अभाव एवं मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन के चलते हल्दीघाटी क्षेत्र में खिलने वाला प्रसिद्ध चैत्री गुलाब अब दम तोडने की कगार पर है। फसल बीमा का लाभ न मिलने से इसकी खेती करने वाले किसानों का मोह भंग हो गया हैं। तथा कुछ सालों की तुलना में इस वर्ष इसकी आवक में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट हुई हैं।स्थानीय किसानों ने दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह से चैत्री गुलाब की खेती के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। फूल खिलने के इंतजार में कई काश्तकारों ने पौधों की कटिंग भी शुरू कर दी हंै। हल्दीघाटी क्षेत्र में करीब 40 परिवार प्रत्येक वर्ष 25 बीघे में चैत्री गुलाब की खेती करते हैं। गौरतलब है कि यहां की मिट्टी व जलवायु चैत्री गुलाब की खेती के लिए सबसे उत्तम मानी गइंü है। चैत्री गुलाब से गुलकन्द, इत्र, शरबत, गुलाब जल व अर्क तैयार किया जाता है। कई वर्षों से चैत्री गुलाब की खेती करने वाले काश्तकार सोहनलाल माली का कहना है कि अनिश्चित मौसम के कारण अब इसकी खेती चौपट होती जा रही है। काश्तकार शिवलाल माली ने बताया कि वह पूर्वजों की परम्परा के चलते इसकी खेती कर रहे हैं। आवक भी घटी- मौसम में बदलाव के चलते इसकी खेती करने वाले काश्तकारों का दिन ब दिन मोह भंग होता जा रहा है। जिसके चलते इसकी आवक में जबरदस्त गिरावट आई है। काश्तकारों के अनुसार गत वर्षो की तुलना में इसकी आवक में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट आई हैं। चैत्री गुलाब की खेती से काश्तकारों का मोह भंग होने का एक अन्य कारण सरकारी उपेक्षा है। इतना ही नहीं फसल बीमा का लाभ न मिलने से भी इसके प्रति काश्तकारों का रूझान कम होता जा रहा हैं।
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