Friday, April 17, 2009

संतो के सद्विचार का सत्कार होना चाहिए : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि संतो के सद्विचार का सदा सम्मान व सत्कार होना चाहिए। संतों के दर्शन व उनकी वाणी श्रमण सौभाग्य से प्राप्त होती है। जो संत वाणी का और प्रभु के पवित्र संदेश का प्रचार व प्रसार करते है वे स्वयं का और समाज का बहुत बडा उपकार करते हैं। उक्त विचार उन्होने शुक्रवार को किशोरनगर स्थित चण्डालिया निवास पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि पुण्यात्मा को संतो के मुख से परमात्मा की वाणी सुनकर प्रेम होता है। जबकि पापात्मा को पूर्व पाप कर्म के उदय सेर् ईष्या और घृणा होने लगती है। मुनि ने कहा संत हमेशा समाज में सद्भावना की प्रेरणा देते हैं। सूरज का काम दुनियां में प्रकाश करना लोकेन उल्लू को वह पसंद नहीं है। ऐसे ही संतजनाें के सद्विचार किसी को पसंद न आए यह उनकी कमी है। उन्होने कहा कि हम नकारात्मक विचाराेंं को महत्व न दें। अपने दायित्व को विवेक पूर्वक निभायें। दीये की तरह अन्त तक अन्धकार से लडने का जबा रखें। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल तथा मुनि विकास ने भी विचार रखे।

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