Wednesday, April 8, 2009

नशा नरक का द्वार और विनाश का आधार है : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि नशा नरक द्वार और विनाश का आधार है। जो स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं उन्हें नशीले व मादक पदार्थों से परहेज करना चाहिए। उन्होने कहा नशा चेतना को विकृत करता है। फिर विकृत चेतना अनेक अपराधो को जन्म देती है। इसलिए चेतना की स्वस्थता और पवित्रता के लिए दर्ुव्यसनाें से मुक्ति जरूरी है। उक्त विचार उन्होनें बुधवार को कांकरोली के स्टेशन रोड स्थित जगजीवन लाल चोरडिया के निवास स्थान पर आयोजित नशे की प्रवृति और युवा शक्ति विषय पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।
उन्होने कहा कि नशा एक जहर है। जो व्यक्ति को धीमे-धीमे मौत के मुंह में धकेलता है। तम्बाकू, बीडी, सिगरेट का सेवन करने से खांसी, दमा, केंसर, रक्तचाप, ह्दय रोग आदि बीमारियां हो जाती है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल और मुनि विकास ने भी विचार रखे।
तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती मंजू चोरडिया ने बताया कि मुनि तत्वरूचि तरूण गुरूवार प्रात: साढे सात बजे स्टेशन रोड चोरडिया निवास से विहार कर नया बाजार स्थित तेरापंथ भवन पहुंचेगे।

No comments: