राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि महावीर को केवल जाने और माने ही नहीं अपितु जीएं भी। महावीर के दर्शन में प्रदर्शन को कोई स्थान नहीं है। इसलिए शादी, सालगिरह, जन्म-मरण, तप-जप, अनुष्ठान आदि के अवसर पर आडम्बर न हो। जातिवाद को प्रभु ने अतात्विक बतालाते हुए कहा मनुष्य जाति एक है। व्यक्ति जाति या जन्म से नहीं कर्म से महान होता है। उक्त विचार उन्होने तेरापंथ भवन प्रज्ञा विहार कांकरोली में महावीर मंच की ओर से आयोजित महावीर जयंती के कायक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा भगवान महावीर का तीर्थ सर्वोदय तीर्थ है। जिसमें सबके लिए हित और कल्याण निहित है। आतंकवाद, उग्रवाद, सम्प्रदायवाद, जातिवाद आदि समस्याआें का समाधान महावीर दर्शन में खोजा और पाया जा सकता है। उन्होने कहा धर्म का आधार अहिंसा है। गर्भपात हिंसा है। कन्या भूणाें की हत्या महापाप है। मुनि ने बताया कि आज महावीर जयंती के साथ ही विश्व स्वास्थ्य दिवस भी है। वास्तव में महावीर का दर्शन स्वास्थ्य का दर्शन है। स्वास्थ्य का अर्थ है स्व में स्थित होना। जो स्वभाव में स्थित है वही स्वस्थ है। महावीर के अनुसार काम, क्रोध, मद, लोभ, राग-द्वेष, ये सारे रोग है। इससे मुक्ति पाना ही धर्म व स्वास्थ्य है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में नगरपालिकाध्यक्ष अशोक रांका, यमुना शंकर दशोरा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष महेन्द्र कुमार कोठारी, तेयुप अध्यक्ष प्रमोद सोनी, नवीन चोरडिया, महावीर मंच के अध्यक्ष अरविन्द चतर, गणेशलाल पगारिया, भंवर वागरेचा, बंशीलाल हिंगड, कन्हैयालाल रांका, सुनिल कुमार चव्हान, प्रदीप लुहारिया आदि विशिष्टजन उपस्थित थे। मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल काकंरोली ने किया। इस अवसर पर बुजुर्गों का सम्मान भी किया गया।
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