Friday, April 3, 2009

महिला शिक्षा को बढावा देना बहुत जरूरी

किसी भी समाज की उन्नति शिक्षा के बिना सम्भव नहीं है। वैश्वीकरण के दौर में चारण समाज में भी महिला शिक्षा को बढावा देना बहुत जरूरी है। यह बात भारतीय सेवा के पूर्व प्रशासनिक अघिकारी सी.डी.देवल ने कही। वे धर्मनगरी के समीप गढवाडा गांव स्थित सोनल ईश्वरी धाम में शुक्रवार को आयोजित आखिल भारतीय चारण महासम्मेलन में उदबोधन दे रहे थे।कार्यक्रम में पूर्व सांसद ओंकारसिंह लखावत ने अपने सम्बोधन में राष्ट्र धर्म, समाज विकास व सुधार के 8 प्रस्तावों का खुलासा किया। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष डा.गिरिजा व्यास ने ऎतिहासिक प्रसंगों को खंगालते हुए चारण कवियों की वीरतापरक काव्य रचनाओं का उल्लेख किया। सम्मेलन अध्यक्ष मोतीदानसिंह के साथ महामंत्री संजयसिंह बारहठ, मूलदान देवायत, तेजकरण नैया, गुजरात के देवीदान लाम्बा, बालजी भाई सिंघरोटिया गुजराती लोक संगीतकार लखाभाई गढवी, लोक साहित्यकार बज्ाूभाई लाम्बा, शांति भाई लाम्बा व दादू भाई गढवी ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह में भाग लेने के लिए लंदन से आए समाज के धु्रव भाई गढवी, कन्नू भाई व अरविन्द भाई गढवी ने समाज के उत्थान की रूपरेखा प्रस्तुत की। देवल अखिल भारतीय अध्यक्ष निर्वाचित अखिल भारतीय चारण सभा के अध्यक्ष पद पर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं विधायक सी.डी. देवल को आई कंकू केसर मां ने मनोनीत किया।समाज विकास के आठ प्रस्ताव पारितसम्मेलन की चारण विचारणी सभा में मौजूद पूर्व सांसद ओंकारसिंह लखावत ने अपने संबोधन में समाज विकास व सुधार के साथ राष्ट्र धर्म निबाहने के आठ प्रस्ताव रखे जिनमें आतंकवाद का एकजुट मुकाबला, स्वतंत्रता आंदोलन का भाव बनाए रखना, राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाना, महिला शिक्षा प्रसार, दहेज व व्यसन मुक्ति, त्यागी-तपस्वी व्यक्ति ही समाज का आदर्श, बीसोत्तर चारणों को एकजुट किया जाने के साथ पाकिस्तान में हिंगोल नदी पर बनने वाले बांध को रोका जाए इत्यादि प्रस्ताव रखे जिन्हें ध्वनि मत से पास किया गया।इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवीदान चारण ने कहा कि सोनल मां देवी अवतार तो थे ही, परंतु समाज की स“ाी नेत्री भी थी। चारणों का नेतृत्व हमेशा देवियों ने ही किया है। राष्ट्रीय एकता सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रेमदान भारती ने चारण चरित्र को कुछ इस प्रकार से प्रस्तुत किया- मैं क्रांति का कारण हूँ, मैं चारण हूँ....। मौके पर राम भाई जामन, वालजी भाई कच्छ और डॉ. राजेन्द्र बारहठ ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन के अध्यक्ष मोतीदान चारण ने धन्यवाद दिया। सभा का संचालन राजस्थान से केसर सिंह बाटी और गुजरात से प्रो. अम्बादान रोहडिया ने किया।बापू ने दिया आशीर्वादमुरारी बापू ने कहा कि चारण सरस्वती की उपासक जाति हैं। इनके कंठों में सरस्वती निवास करती है। इसलिए चारण समाज का मार्गदर्शक होता है। गढवाल भानसोल में चल रहे अखिल भरतीय चारण महासम्मेलन में शुक्रवार देर शाम आए मुरारी बापू ने आशीर्वचन दिए। उन्होंने कहा कि यहां आना मेरे ऊपर भगवती की असीम कृपा का फल है।

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