Thursday, May 28, 2009

संतो की संगत सुखकारी होती : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि ने कहा कि संतो की संगत भय भंजक, संकट मोचक और सदा सुखकारी होती है। संत आत्मा के पाप, ताप और संताप का हरण करने वाले होते हैं। उक्त विचार उन्होने गुरूवार को पसून्द में आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि संत का आदर-सत्कार करना आत्म हितकारी है। क्याेंकि हम सदगुणा का सम्मान कर रहे हैं। व्यक्ति केवल माध्यम है वास्तव में उसके भीतर जो सद चरित्र है वह आदरणीय है। इससे पहले मुनि तत्वरूचि तरूण ने अपने सहवर्ती संत भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास के साथ किशोरनगर से विहार किया। इस अवसर पर किशोरनगर, राजनगर, कांकरोली के अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
मुनि तत्व आज केलवा मेंे : मुनि तत्वरूचि तरूण शुक्रवार को केलवा में प्रवेश करेंगे। तेरापंथ युवक परिषद कांकरोली के अध्यक्ष प्रमोद सोनी ने बताया कि मुनि शुक्रवार प्रात: पसून्द से विहार कर साढे सात बजे केलवा पहुंचेगे।

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