Thursday, May 28, 2009

जीवन विज्ञान जीने की कला है : समणी योति प्रज्ञा

राजसमन्द। समणी निर्देशिका योति प्रज्ञा ने कहा कि जीवन विज्ञान जीने की कला है। शरीर मन बुध्दि व आत्मा को स्वस्थ बनाने का उपक्रम है। ज्ञान ही हमारे मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करता है। जैन विश्व भारती विश्व विद्यालय लाडनूं शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा ही नहीं संस्कृति अनुरूप ज्ञान का सर्वोच्च मंदिर है। यह विचार उन्होने भिक्षु बोधि स्थल राजसमन्द में दस दिवसीय स्नातक व स्नातकोत्तर सम्पर्क कक्षाआें की सम्पन्नता पर व्यक्त किए। समणी हंस प्रज्ञा, समणी प्रणव प्रज्ञा, समणी दिव्य प्रज्ञा, ने अलग अलग कक्षाआें का संचालन किया। युनिवर्सीटी के जसवन्त मेनारिया ने प्रेक्टीकल परीक्षा ली। इस अवसर पर सुन्दरलाल लोढा, शिक्षाविद चतुर कोठारी, मंत्री रमेशचन्द चपलोत ने भी विचार व्यक्त किए। संस्था मीडिया प्रभारी व महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती लाड मेहता ने बताया कि समणीवृन्द 29 व 30 मई को केलवा भिक्षु विहार में रहेंगे तथा 31 मई को भीलवाडा जाएंगे।

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