राजसमन्द। सफल जीवन वहीं होता है जहां पर व्यक्ति स्वयं मानसिक आहलाद अनुभव करते हुए परिवार व समाज के साथ सह अस्तित्व पूर्ण सम्बन्धाें का विकास कर सके। अपनी क्षमता को किसी भी क्षेत्र में उजागर करे यदि उसका सम्बन्ध मात्र अर्थ के साथ न जोडे तो व्यक्ति का जीवन स्वस्थ परिवार व समाज की संरचना करने में सफल भूमिका निभाता है। उक्त विचार मुनि कुलदीप ने सोमवार को आराधना भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महिला मंडल की दो दिवसीय शिविर के उद्धाटन सत्र में व्यक्त किए। उन्होने कहा सामुदायिक जीवन में सम्बन्धाें मे तभी सन्तुलन और साम्यता रह सकती है जब थोडा सा सहन करने की मनोवृति स्वयं को एडजस्ट करके चलने की क्षमता और निचाराें मेंे उदारता, ये जीवन के सूृत्र स्वस्थ व्यक्ति के निर्माण में सफल भूमिका देने में सक्षम साबित हो सकते हैं। इस अवसर पर मुनि मुकुल कुमार ने भी विचार रखे। संचालन संस्था अध्यक्षा श्रीमती लाड मेहता ने किया। आभार पूर्वाध्यक्ष लता जैन ने ज्ञापित किया। संस्था अध्यक्ष लाड मेहता ने बताया कि रात्रि साढे आठ से दस बजे तक भिक्षु बोधि स्थल में समणी निर्देशिका योति प्रज्ञा के सान्निध्य में द्वितीय सत्र आध्यात्मिक गहनो को पहन कर जीवन को कैसे खिलाएं विषय पर मॉडर्न युग की नब्ज का दिशा-दर्शन होगा।
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