राजसमन्द। मुनि कुलदीप ने कहा कि हर व्यक्ति सफल व महान बनना चाहता है प्रथमतया पहचानने की शक्ति हो, निर्णय की क्षमता हो, समय पर समयोचित कार्य हो, तो व्यक्ति विकास कर सकता है। महिलाआें व कन्याआें का प्रथम कर्तव्य सामन्जस्य की भावना हो, शालीनता के परिधान हो, कम्पीटीशन व टेन्शन से प्रतिकूल परिस्थिति ने बताएं। सफल नारी वह है जो परिस्थिति में भी अनुकूलता का वातावरण बनाए रखे। उक्त विचार मुनि कुलदीप ने श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महिला मंडल राजसमन्द के तत्वावधान में आयोजित शिविर में कहे। इस अवसर पर मुनि मुकुल ने कहा दैनिक जीवन शैली में आध्यात्मिकता का भी उचित स्थान जीवन की शांति के लिए आवश्यक है। आभार लाड मेहता व संचालन मंत्री सीमा धोका ने किया।
ज्ञानशाला शिविर : अतीत में कोई भागीरथ स्वर्ग से गंगा को लाए थे। ऐसा इतिहास कहता है पर वर्तमान में ज्ञानशाला की यह पवित्र गंगा तुलसी महाप्रज्ञ के युग में आवतरित नहीं होती तो मानव जाति का भविष्य अतृप्त प्यास रह जाता । यह विचार साध्वी सोमलता ने ज्ञानशाला के बच्चाें के त्रिदिवसीय शिविर में व्यक्त किए। इस अवसर पर साध्वी शकुन्तला, साध्वी प्रेक्षा, साध्वी कांवयशा एवं साध्वी संचितयशा ने शिविरार्थी बच्चों को तत्वज्ञान, महाप्राण ध्वनि, संस्कार सप्तक आदि का प्रशिक्षण दिया।
कन्या एवं युवती संस्कार निर्माण शिविर : तेरापंथ महिला मंडल राजसमन्द के तत्वावधान में आयोजित कन्या एवं युवती संस्कार निर्माण शिविर को सम्बोधित करते हुए समणी निर्देशिका योति प्रज्ञा ने कहा कि भगवान महावीर ने अनेकान्त दृष्टि को स्थान देने की बात कही है। पवित्रता को बढाने के लिए सबसे श्रेष्ठ सूत्र है क्षमा। मोक्ष के लिए चार गेट कीपर है उसमें मुक्ति यानि निर्लोभिता। वह चन्दन सी चिंत को शान्त करने वाली लकडी है। क्षमा का अभाव हमारे जीवन में है। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जिसे क्रोध नहीं आता हो। क्रोध क्या है ? एक प्रकार का बुखार है। बुखार में भी शरीर गर्म व आंखे लाल होती है क्रोध में भी आंखे लाल होगी। आगम में क्रोध को चाण्डाल की उपमा से अपमित किया जाता है। इसके नुकसान है श्वासाें का नुकसान, डाइनेसन सिस्टम का, आत्मानुशासन का सबसे यादा मन को कंट्रोल में रखना होगा। इस अवसर पर समण्ी हंसप्रज्ञा, समणी प्रणव प्रज्ञा, समणीा दिव्य प्रज्ञा ने गीतिका प्रस्तुत की। मंत्री रमेश चपलोत, अमृत सांसद अशोक डूंगरवाल, अध्यक्ष श्रीमती लाड मेहता ने आभार ज्ञापित किया।
ज्ञानशाला शिविर : अतीत में कोई भागीरथ स्वर्ग से गंगा को लाए थे। ऐसा इतिहास कहता है पर वर्तमान में ज्ञानशाला की यह पवित्र गंगा तुलसी महाप्रज्ञ के युग में आवतरित नहीं होती तो मानव जाति का भविष्य अतृप्त प्यास रह जाता । यह विचार साध्वी सोमलता ने ज्ञानशाला के बच्चाें के त्रिदिवसीय शिविर में व्यक्त किए। इस अवसर पर साध्वी शकुन्तला, साध्वी प्रेक्षा, साध्वी कांवयशा एवं साध्वी संचितयशा ने शिविरार्थी बच्चों को तत्वज्ञान, महाप्राण ध्वनि, संस्कार सप्तक आदि का प्रशिक्षण दिया।
कन्या एवं युवती संस्कार निर्माण शिविर : तेरापंथ महिला मंडल राजसमन्द के तत्वावधान में आयोजित कन्या एवं युवती संस्कार निर्माण शिविर को सम्बोधित करते हुए समणी निर्देशिका योति प्रज्ञा ने कहा कि भगवान महावीर ने अनेकान्त दृष्टि को स्थान देने की बात कही है। पवित्रता को बढाने के लिए सबसे श्रेष्ठ सूत्र है क्षमा। मोक्ष के लिए चार गेट कीपर है उसमें मुक्ति यानि निर्लोभिता। वह चन्दन सी चिंत को शान्त करने वाली लकडी है। क्षमा का अभाव हमारे जीवन में है। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जिसे क्रोध नहीं आता हो। क्रोध क्या है ? एक प्रकार का बुखार है। बुखार में भी शरीर गर्म व आंखे लाल होती है क्रोध में भी आंखे लाल होगी। आगम में क्रोध को चाण्डाल की उपमा से अपमित किया जाता है। इसके नुकसान है श्वासाें का नुकसान, डाइनेसन सिस्टम का, आत्मानुशासन का सबसे यादा मन को कंट्रोल में रखना होगा। इस अवसर पर समण्ी हंसप्रज्ञा, समणी प्रणव प्रज्ञा, समणीा दिव्य प्रज्ञा ने गीतिका प्रस्तुत की। मंत्री रमेश चपलोत, अमृत सांसद अशोक डूंगरवाल, अध्यक्ष श्रीमती लाड मेहता ने आभार ज्ञापित किया।
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