राजसमंद। इस वर्ष चालू शिक्षण सत्र के दौरान सियासी बिसात पर नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना दांव पर है। अकेले राजसमंद जिले में करीब डेढ लाख छात्र-छात्राओं की पढाई सियासी फौज की खेप तैयार करने की भेंट चढ चुकी है। कारण, हर बार चुनावी प्रक्रिया पूरी कराने में करीब नब्बे फीसदी शिक्षकों को लगाया जाता है।
यही नहीं, चुनावी कार्य के चलते कई स्कूलों को प्रशासन ने अपने नियंत्रण में लेकर ब"ाों को घर और शिक्षकों को मतदान केन्द्रों पर बैठा दिया है। गौरतलब है कि राजसमंद सहित राज्य के कई जिलों में एक वर्ष की अवघि में सात बार चुनाव हुए हैं। इनमें विधानसभा और लोकसभा के चुनावों सहित ग्राम पंचायतों और वार्डपंच के साथ नगर पालिका-नगर निगम के चुनाव शामिल हैं।
आने वाले दिन भी अध्ययन-अध्यापन की दृष्टि से अच्छे नहीं होंगे, क्यों कि करीब एक सप्ताह बाद सरकारी और अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों को दशकीय जनगणना में लगा दिया जाएगा। इन सबके बीच, नौनिहालों के अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच चुकी है। हर बार चुनावी प्रक्रिया के दौरान कई स्कूलों को स्ट्रांग रूम में तब्दील कर ब"ाों को 20 से 25 दिन तक घर बैठा दिया जाता है। जिला मुख्यालय के बालकृष्ण राजकीय उ"ा माध्यमिक के भी यही हालात है।
ऎसे उलझी पढाई
*विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण अध्ययन कार्य ठप, कई स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन बाघित, विद्यार्थियों का अवकाश, शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी। करीब आठ से 22 दिन शिक्षण बाघित।
* संसदीय चुनावों की आचार संहिता से एक बार फिर स्कूलों पर ताले, शिक्षक सियासी समर में व्यस्त। करीब 8 से 20 दिन शिक्षण बाघित।
*नगर पालिका-नगर निगम के चुनावों के चलते पालिका-निगम क्षेत्रों में अध्ययन प्रभावित। लाखों विद्यार्थी अघोषित अवकाश पर।
यही नहीं, चुनावी कार्य के चलते कई स्कूलों को प्रशासन ने अपने नियंत्रण में लेकर ब"ाों को घर और शिक्षकों को मतदान केन्द्रों पर बैठा दिया है। गौरतलब है कि राजसमंद सहित राज्य के कई जिलों में एक वर्ष की अवघि में सात बार चुनाव हुए हैं। इनमें विधानसभा और लोकसभा के चुनावों सहित ग्राम पंचायतों और वार्डपंच के साथ नगर पालिका-नगर निगम के चुनाव शामिल हैं।
आने वाले दिन भी अध्ययन-अध्यापन की दृष्टि से अच्छे नहीं होंगे, क्यों कि करीब एक सप्ताह बाद सरकारी और अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों को दशकीय जनगणना में लगा दिया जाएगा। इन सबके बीच, नौनिहालों के अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच चुकी है। हर बार चुनावी प्रक्रिया के दौरान कई स्कूलों को स्ट्रांग रूम में तब्दील कर ब"ाों को 20 से 25 दिन तक घर बैठा दिया जाता है। जिला मुख्यालय के बालकृष्ण राजकीय उ"ा माध्यमिक के भी यही हालात है।
ऎसे उलझी पढाई
*विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण अध्ययन कार्य ठप, कई स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन बाघित, विद्यार्थियों का अवकाश, शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी। करीब आठ से 22 दिन शिक्षण बाघित।
* संसदीय चुनावों की आचार संहिता से एक बार फिर स्कूलों पर ताले, शिक्षक सियासी समर में व्यस्त। करीब 8 से 20 दिन शिक्षण बाघित।
*नगर पालिका-नगर निगम के चुनावों के चलते पालिका-निगम क्षेत्रों में अध्ययन प्रभावित। लाखों विद्यार्थी अघोषित अवकाश पर।
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