Saturday, January 2, 2010

खादी रईसों की पहचान

राजसमन्द। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की परिकल्पना ग्राम स्वरोजगार की रही है और सही मायने में खादी वस्त्र पहनना रईसों की पहचान है। हमें खादी ग्रामोद्योग को आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में बढावा देना होगा। यह बात जिला कलक्टर औंकारसिंह ने कही। वे कांकरोली के विट्ठल विलास बाग में राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड व जिला उद्योग केन्द्र की ओर से शनिवार को शुरू हुए खादी तथा ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह मे बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश में आधुनिक उद्योगों के लगातार बढने से पर्यावरण विषम हुआ है, जबकि खादी ग्रामोद्योग व हस्तशिल्प उद्योग स्वरोजगार का अच्छा स्त्रोत साबित हुए हैं। वहीं पर्यावरण संतुलन की दिशा में भी यह उद्योग कारगर है। वर्तमान में खादी में समय के साथ नवीन तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, जिससे खादी के उत्पाद किसी भी अन्य उत्पादों की तुलना में कम नहीं है और खादी जनमानस में और अधिक लोकप्रिय हुई है। कार्यक्रम को कांग्रेस नेता देवकीनंदन गुर्जर व मेवाड संभाग खादी ग्रामोद्योग परिषद के पूर्व संयोजक जीतमल कच्छारा ने भी सम्बोधित किया। सहायक उपनिदेशक खादी मूलसिंह रावत ने आयोजित प्रदर्शनी तथा मेले में भाग ले रही विभिन्न संस्थाओं एवं उनके उत्पादों, राज्य सरकार द्वारा खादी पर दी जा रही छूट से सम्बन्घित जानकारी दी।
ये हैं उत्पाद मेला प्रभारी नरेश सुराणा ने बताया कि खादी मेले में ऊनी सूती खादी में 15-30 प्रतिशत की छूट का प्रावधान किया गया है। मेले में आचार, मुरब्बा, ऊनी व सूती खादी के वस्त्र, कम्बल, मूंग के पापड, ग्रामोद्योग फर्नीचर के अलावा विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन भी उपलब्ध है। मेला 11 जनवरी तक चलेगा।
मोली बंधन खोल किया उद्घाटनमेले का जिला कलक्टर व उद्योग प्रसार अघिकारी सुरेश गुप्ता आदि अतिथियों ने मोली बन्धन खोल कर उद्घाटन किया। अतिथियों ने महात्मा गांधी की छवि पर सूती की माला पहनाई। इस दौरान मेले में आए विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिघि व नागरिक उपस्थित थे।

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