Tuesday, January 5, 2010

खौफ से खाली होता गांव

राजसमंद। खेत-खलिहानों और आशियानों को बार-बार अपनी आंखों के सामने जलता देख मायूस व भयभीत रेलमगरा तहसील के चराणा के ग्रामीणों के धैर्य ने जवाब दे दिया है। आएदिन गांव में आग लगने से अपनी फसल, चारा,पशु और घर स्वाहा होते देख गांव के कई परिवारों ने थक हार कर गांव से पलायन का रास्ता अख्तियार कर लिया है।
करीब चौबीस परिवारों ने अपने घर खाली कर दिए हैं और घरेलू सामान अन्य गांवों-ढाणियों में रहने वाले रिश्तेदारों के घर पहुंचा दिया है। घास-चारा और मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। इन हालात के बीच प्रशासन का उदासीन रवैया लोगों को व्यथित किए हुए है। उल्लेखनीय है कि चराणा गांव में पिछले एक माह और प“ाीस दिन में प“ाीस बार आग लग चुकी है,जिसमें ग्रामीणों का लाखों माल स्वाहा हो गया। यह सिलसिला अब भी बना हुआ है। इससे ग्रामीण खौफजदा हैं।
आग की घटनाओं को लोग अलग-अलग तरह से देख रहे हैं। कोई इसे अनिष्ट की तरह देख रहा है तो कोई गांव पर आपदा के रूप में देख रहा है। कोई इसे प्रशासनिक लापरवाही का मामला बता रहा है। इस मामले में दुखद पहलू यह है कि प्रशासनिक स्तर पर दृष्टि से इस दिशा में कोई पुख्ता पहल नहीं हुई है, राहत और बचाव के कोई ठोस उपाय नहीं हुए हैं और यही वजह है कि लोग हौसला खोकर गांव छोडने पर मजबूर हो रहे हैं।
कोई ससुराल, कोई मामा के घरगांव के माधवलाल सुखवाल ने घर का सामान कुरज के पास माण्डफिया का खेडा गांव में अपने ससुराल तो भैरूलाल पण्ड्या ने धनेरियागढ में मामा के घर पहुंचा दिया है। श्यामलाल सुखवाल, सोहनलाल पण्ड्या, किशनलाल सुखवाल, मदननाथ योगी, मांगीलाल सुथार ने भी पलायन की तैयारी कर ली है।
इनका कहना हैप्रशासनिक स्तर पर पीडित परिवारों को कुछ तो आर्थिक राहत मिलनी ही चाहिए। -भूरालाल सुखवाल, मुखिया, सुखवाल समाज, चराणा
सवा माह बाद भी प्रशासनिक स्तर पर पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए हैं। समाज के कई लोगों ने घरों का सामान अन्यत्र भेज दिया है।शंभूनाथ योगी, अध्यक्ष, योगी समाज, चराणा
हमने अपनी आंखों के सामने गाढे पसीने की कमाई जलते हुए देखी है। हम गांव छोड कर दूर जाना चाहते हैं।मोहनलाल सुखवाल, सेवानिवृत्त अध्यापक, चराणा
मेरे घर की राशन सामग्री, कपडे, बिस्तर, रकम आदि अन्यत्र भेज दिए हंै। हम अब गांव छोडने के लिए मजबूर हो गए हैं। माधवलाल सुखवाल, पीडित परिवार

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