Saturday, January 2, 2010

आग लागी, पाणी लाओ'

राजसमंद पाणी लाओ..., कोई बचाओ...।' कोई हाथों में खाली बर्तन लिए कांटों के बीच हैण्डपंप की ओर नंगे पैर भागे जा रहा था तो कोई घर से बाल्टी, मटके लिए दौडा चला आ रहा था। क्या बालक, क्या वृद्ध, हर कोई बस रूंआसा होकर 'बैरी आग से बचाने' का आग्रह कर रहा था। कुछ ऎसा ही दृश्य था रेलमगरा थाना क्षेत्र के चराणा गांव का।
दोपहर 2.30 बजेबीती रात को चार स्थानों पर लगी आग के बाद लोग एक-दूसरे से चर्चा कर भावी आग पर काबू पाने की राय-मशविरा कर ही रहे थे कि दोपहर करीब ढाई बजे पूरे गांव में स्थिति इसके ठीक विपरीत हो गई। गांव के दूसरे छोर की ओर से एक आवाज गूंजी '...अरे 'लाए' लागी रे..., पाणी लाओ...।' इसके साथ ही करीब तीस-पैंतीस फीट ऊंचाई तक आग की लपटें नजर आने लगीं, जो जहां बैठा-खडा था, वहीं से घटना स्थल की ओर दौड पडा। बिना किसी से कुछ भी पूछताछ किए, हर हाथ-हर व्यक्ति आग पर काबू पाने में जुट गया।
आग ने बदला निशानाचराणा गांव में अब तक आग की 22 घटनाएं सुखवाल समाज के पाण्ड्या गौत्र विशेष में होने के कारण लोग भयग्रस्त थे ही, लेकिन शनिवार को इस आग से मजदूर मदननाथ योगी की घास जल गई । यह पहला मौका था जब हर किसी की जुबां पर चर्चा का नया विषय बन गया।
धुंए का गुबार और राख का ढेरआबादी क्षेत्र के पास खुले खेत में बने बाडे में दोपहर 2.26 बजे आग लगी। अगले आठ मिनट के दौरान करीब 2500 वर्ग फीट दायरे में फैले बाडे में रखा करीब चालीस हजार रूपए मूल्य का चारा जल गया। आग लगने की पहली आवाज के साथ ही ग्रामीणों ने दरीबा स्थित हिंद जिंक इकाई की दमकल, रेलमगरा थाना व तहसीलदार आदि को सूचित कर दिया। दमकल पहुंचने से पहले कुछ बचा तो सिर्फ धुंए का गुबार और राख का ढेर।

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