Saturday, January 16, 2010

कोहरे का पहरा, जाडा भी ठहरा

राजसमंद। अलसुबह से छाया कोहरा, जमीन बर्फ जैसी, मटकी का पानी फ्रिज सा, शीतलहर बर्फीली बयार जैसी और सुबह, दोपहर, शाम व रात शरीर को शूल की तरह भेदते गुजरती हवा। जिले में शनिवार को पारा और लुढकने से हवा और पानी बर्फीले हो गए।
सुबह शहर धुंध की चादर में लिपटा रहा और लोग देर तक रजाइयों में दुबके रहे। आसमान में दिन भर बादल छाए रहे और शाम व रात भी सर्द हवाओं के घेरे में गुजरी, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ। अचानक बढी सर्दी के कारण लोगों की धूजणी छूटने लगी और मुंह से भाप निकलने लगी। ठंड की वजह से सर्दी ने ऎसा ताण्डव मचाया कि जिले के बाशिंदे ठिठुरते रहे। ठंड के कारण स्कूल जाने वाले बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, अस्थमा, दिल व साइनस के मरीज बहुत परेशान हुए।
शहर के बाशिंदों ने बताया कि रोजाना के मुकाबले गुरूवार को सर्दी का एहसास कुछ ज्यादा रहा। उनकी सुबह देर से हुई और दिनचर्या भी लेट ही चलती रही। आम तौर पर गर्म कपडे न पहनने वाले लोग भी दिन भर गर्म और ऊनी लबादे ओढे नजर आए।
हर तरफ स्वेटर, जैकेट, कोट, टोपे, मफलर, शॉल व जूते मोजे पहपे ढंके-छुपे नजर आए। शहर में लगातार बादल घिरे रहने के कारण अपराह्न तीन-साढे तीन बजे से ही शाम का सा एहसास होने लगा और शाम चार-साढे चार बजे से ही हल्का अंधेरा छाने लगा और लाइटें लगाना पडीं। आम दिनों के मुकाबले शनिवार शाम ढलते ही बाजारों, दफ्तरों, दुकानों व प्रतिष्ठानों में मौजूद लोग जल्द घरों की ओर चल पडे। चाय की थडियों पर लोगों का जमघट रहा। लोगों ने बार-बार चाय व कॉफी का सेवन किया।
इस दौरान चाय, कॉफी, समोसे, कचोरी, गर्म दूध जलेबी और चना मूंगफली, गजक, रेवडी व तिल पपाडी के भी मजे लिए गए तो कहीं आलू पालक प्याज मिर्च के पकौडे व कहीं-कहीं गाजर, मूंग की दाल का हलवे, भुनी शलजम, गर्मागर्म राब, खीच, सोगरा व मक्के की रोटी के साथ हल्दी की सब्जी का सेवन किया गया।
गृहिणियों व लोगों ने यथासंभव गर्म खाना ही खिलाने-खाने का प्रयास किया। मौसम विभाग के अनुसार जिले में शनिवार को न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस रहा। यह आम दिनों के मुकाबले बहुत कम है। सर्दी के कारण लोगों ने घरों, दुकानों, दफ्तरों और सडकों व गलियों के नुक्कड पर अलावतापते हुए दिखाई दिए।

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