Tuesday, January 19, 2010

स्थापत्य कला को कागज पर उकेरा

कुंभलगढ। गुजरात-सूरत के स्कूल ऑफ इंटीरियर डिजाइनिंग से आए 55 छात्र-छात्राओं का एक दल पिछले तीन दिनों से कुंभलगढ दुर्ग के दौरे पर है। यहां बने ऎतिहासिक स्थापत्य कला के अद्भुत बेजोड नमूनों, कलात्मक धरोहरों की तस्वीरें एवं इनको बनाने के तरीकों को कागजों पर उकेर रहे हैं।
दल के साथ आए निशांत देसाई ने बताया कि वे राजस्थान के एक सप्ताह के भ्रमण पर हैं। इससे पूर्व वे रणकपुर भी जाकर आए हैं। उन्होंने बताया कि उनका दल इंटीरियर डिजाइनर के स्कूल से आया है। वे स्कूल में तस्वीरें देख डिजाइन सिखाते हैं, लेकिन यहां की ऎतिहासिक स्थापत्य कला की लाइव स्केचिंग करने के लिहाज से वे यहां आए।
बेजोड है राजस्थान का सांस्कृतिक वैभव
दल में छात्राओं का नेतृत्व कर रही कावेरी शाह व भूमि राजा ने बताया कि त्यागमयी ललनाओं, साहसी वीरों और गरिमामयी संस्कृति के इस प्रदेश का ऎतिहासिक और प्राकृतिक वैविध्य अनोखा है। यहां एक और दूर-दूर तक फैली अरावली की शृंखलाएं हैं तो दूसरी ओर विराट मरूस्थल। यह प्रदेश प्राकृतिक सम्पदा, कलात्मक वैभव, रहन-सहन, वेश-भूषा, बोली-भाषा, धर्म और दर्शन आदि में भी बहुत समृद्ध और सम्पन्न सम्पन्नहै।

No comments: