राजसमन्द। जिले के ग्रामीण इलाकों में समुचित चिकित्सा व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीण आज भी झोला छाप डॉक्टर के चुंगल में फंसते जा रहे। इधर चिकित्सा विभाग एवं पुलिस प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद अब तक झोला छाप डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।जिले में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र होने के बावजूद वहां समुचित कार्मिक एवं संसाधन उपलब्ध नहीं है। कार्मिक जो उपलब्ध है उनके भी फिल्ड में चले जाने या अन्य विभागीय कार्यो से जिला मुख्यालय या ब्लॉक मुख्यालय पर आने के दौरान ग्रामीणों को समुचित चिकित्सा व्यवस्था नहीं मिल रही है। ऐसे हालात में जिले के खमनोर, राजसमन्द, भीम, देवगढ़, कुम्भलगढ़ पंचायत समिति के कई गांवों में झोला छाप डॉक्टर अपना क्लीनिक खोल कर बैठे है और लोगों का उपचार कर रहे है।सूत्रों के अनुसार कई बार झौला छाप डॉक्टर पीड़ित मरीजों को ऐसी दवाइयां लिख देते है जिससे उनकी जान पर बन आती है और उन्हें जिला मुख्यालय या अन्य जिलों के अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते है। इस सम्बन्ध में ग्रामीण जनप्रतिनिधि चिकित्सा विभाग और पुलिस प्रशासन को समय-समय पर जानकारी भी देते है लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। पुलिस के आंकड़ों की ओर नजर डाले तो वर्ष 2007 में पुलिस ने 12 झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जबकि वर्ष 2008 में पुलिस ने मात्र एक झोला छाप डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की।
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