राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि ने कहा कि शांति न मंदिर में न मस्जिद मे, शांति न गुरूद्वारे न गिरजाघर में, न पहाडाें, पर्वताें और कंदराआें में, न धरती पर न आसमान में न धन-माया, पद व पैसे में है। शांति हमारे स्वभाव में है। उक्त विचार उन्होने मंगलवार को किशोरनगर स्थित चंडालिया निवास पर धर्मसभा को सम्बोधित करत हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा स्वभाव अच्छा है तो स्वयं भी शांति से रह सकेंगे और दूसरे भी शांति से जी सकेंगे। यदि स्वभाव अच्छा नहीं है तो चाहे जितनी पूजा प्रार्थना करो शांति मिलने वाली नहीं है। मुनि ने कहा शांति के फूल स्वभाव उर्वरा भूमि पर खिलेंगे, विभाव की बंजर भूमि पर नहीं। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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