Saturday, May 23, 2009

प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेता के रूप में उभरे डॉ. सीपी जोशी

राजसमन्द। भीलवाडा के सांसद एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी को पहली बार सांसद चुने जाने पर भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सराकार में शामिल मंत्रियाें के पहले शपथ ग्रहण समारोह में ही केबीनेट मंत्री की शपथ दिलाई जाने से वह केन्द्र में प्रदेश के कद्दावर नेता के रूप में उभरे है। मंत्रिमंडल में शामिल 19 मंत्रियाें में डॉ सीपी जोशी ही अकेले ऐसे मंत्री है जो सीधे केबीनेट मंत्री बने। अधिकांश मंत्रियों में कई पहले से रायमंत्री रहे और कई बार सांसद अथवा अपने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। इस दूष्टि से कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ओर युवा नेता राहुल गांधी ने सीपी जोशी की योग्यता व कार्यकुशलता का उपयोग संगठन व सरकार की सफलता के लिए केन्द्र में करने को तवाो दी। वे चाहते तो उन्हें पीसीसी अध्यक्ष ही रहने देते अथवा राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में कोई पद दे देते, किन्तु सीपी जोशी की शैक्षणिक योग्यता (एमएससी, एमए (साइकलोजी), पीएचडी व लॉ ग्रेजुएट) के साथ उनके चार बार के विधायक कार्यकाल 1980 व 85, 1998 व 2003 तथा गहलोत मंत्रीमंडल में जनता से जुडे विभागों, ग्रामीण विकास, पंचायती राजमंत्री, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, शिक्षा, सामान्य प्रशासन आदि के अनुभव का लाभ सरकार के जरिये जनता तक पहुंचाने उन्हें बडा पद दिया।
उदयपुर की पूर्व सांसद डॉ गिरिजा व्यास 09 से पूर्व तीन बार सांसद रही (1991-96 व 99) किन्तु इस मुकाम तक नहीं पहुचं सकी। यह दीगर बात है कि 04 में चुनाव हारने के बाद वह सोनिया गांधी से नजदीकी वजह से महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्षा बनने में सफल रही किन्तु इसमें भी अशोक गहलोत सहित अन्य नेताओ का सहयोग जरूर रहा। उस समय स्वयं गहलोत भी मुख्यमंत्री पद गंवा कर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बने थे। गहलोत भी चार पांच बार सांसद रहे, किन्तु कभी इतने बडे पावर पद पर नहीं रहे। डॉ सीपी जोशी के केन्द्र सरकार में काबीना मंत्री बनने और उन्हें जनता से जुडा विभाग मिलने के बाद वह अपनी सोच व योजना व भाषण शैली से न सिर्फ राजस्थान अपितु मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, पंजाब हरियाणा, उत्तरप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेश के हिन्दी भाषी इलाकाें में अच्छा प्रभाव डाल सकते हैं। इसके साथ ही प्रोफेसर जोशी अंग्रेजी भी धारा प्रवाह बालने से तमिलनाडू, आन्ध्रप्रदेश, केरल, कर्णाटक, में भी अपनी योग्यता की प्रभावी छाप डाल सकते हैं।
उच्च शिक्षा के प्रोफेसर होने से किसी भी विषय पर आईएएस अधिकारियाें से भी डिसकस (तर्क वितर्क) कर सकेंगे। किसी योजना में कमियां निकाल अथवा सुझावाें को जुडवाकर अधिक व्यापक बनवा सकेंगे।
सीपी जोशी के केबीनेट मंत्री बनने से केन्द्रीय योजनाआें के जरिये प्रदेश की जनता के लिए अधिक धन उपलब्ध कराने में भी उनकी भूमिका का लाभ मिलेगा। वे अब तक मेवाड के आदिवासी क्षेत्र बांसवाडा, डूंगरपुर, सलूम्बर, प्रतापगढ, सिरोही के आदिवासियाें की गरीबी को देखते हुए इन्हें पृथक से लाभ देने की वकालत करते रहे हैं। इन क्षेत्राें के भील, गमेती, मीणा, दौसा-सवाई माधोपुर के आदिवासियाें से आर्थिक-शैक्षिक दृष्टि से काफी पिछडे हुए हैं। इस कारण मेवाड के लोग प्रतिस्पर्धा में नहीं टिक पाते और हमेशा पिछडे ही रहे हैं। सीपी जोशी के मन में इनकी दशा सुधारने की पीडा भी कई बार झलकी।
सीपी जोशी सितम्बर 07 में प्रदेश अध्यक्ष बनें। एक वर्ष के अंतराल में हुए विधानसभा चुनावाें से पूर्व जयपुर व वेणेश्वर में विशाल रैलियां की। संभागीय सम्मेलनाें के जरिये कार्यकर्ताआें में जोश भरा और उसे चुनाव तक बरकरार रख भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। निश्चित रूप से यह काम कोई अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता। किन्तु नेतृत्व कुशल हो तो वह अपनी टीम का मजबूती के साथ मैदान में उतरकर सफलता अर्जित कर सकता है और डॉ सीपी जोशी ने यह कर दिखाया। विधानसभा चुनावाें में हारने पर उन्हें कितना बडा झटका लगा होगा ? यह हार बुध्दिजीवी सोच समझ सकता है। कमजोर व्यक्ति तो अकेला कमरे में बैठकर रो-रोकर बुरा हाल कर देता और स्वयं टूट जाता किन्तु सीपी जोशी ने साहस के साथ उस गम को पी लिया और चुनाव परिणाम के दिन ही सरकार बनाने की तैयारियाें में जुट गए। मीडिया के प्रश्नाें की बौछाराें का उत्तर देते रहे। गहलोत सरकार बनते ही राहुल गांधी को बुलाकर धन्यवाद रैली की और उसमें कार्यकर्ताआें को समय कम और काम यादा का नारा देते हुए लोकसभा चुनावाें में टारगेट-25 पूरा करने को कहते हुए खुद को झाेंक दिया। अपनी बिना लाग लपेट बातो के कारण कई बार सामने वाले व्यक्ति के मन में नेगेटिव छवि बनाते रहे सीपी जोशी को वे ही व्यक्ति अधिक पसन्द करने लगे कि हमें एक इंकार से बार बार चक्कर तो नहीं लगाने पडते फालतु समय धन तो बर्बाद नहीं होता। ग्रामीण परिवेश में बडे हुए शुरू से संघर्षमय जीवन देखा। कॉलेज मे जाने के बाद तो कभी पीछे मुड कर नहीं देखा। राजनीति में आने के बाद जनता की तकलीफ को खुद महसूस कर हल कराते रहे। वे आज जिस मुकाम पर पहुंचे वहां से अब उन्हें सिर्फ नाथद्वारा , राजसमन्द, बांसवाडा, डूंगरपुर, चित्तौड, भीलवाडा और राजस्थान ही नहीं सम्पूर्ण भारत दिखाई देगा। सीपी जोशी सम्पूर्ण देश में सरकारी दोरे करसकेंगे कांग्रेस की मजबूती के लिए वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ कलकत्ता, चेन्नई, तमिलनाडू मुम्बई, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशाें में बसे प्रवासी राजस्थानी और उद्योग पतियाें एवं व्यापारियाें से सम्पर्क कर प्रदेश के औद्योगिक विकास एवं संगठन से जोडने का कार्य भी कर सकेंगे। इससे अन्य प्रांताें में भी अपने सम्पर्क से जनता को लाभ दिला सकेंगे।
सीपी जोशी को देश के साथ अपने घर पर भी नजरे रखनी होगी। भीलवाडा संसदीय क्षेत्र की पेयजल समस्या दूर कराने के लिए जल्द कार्य शुरू करवाना होगा और औद्योगिक इकाईयाें को प्रदूषण से मुक्ति दिलानी होगी। उद्योगाें को डार्क जोन विद्युत कटौती से बाहर निकालना होगा। शिक्षा की दूष्टि से उच्च शिक्षा संस्थाएं स्थापित करानी होगी, युवाआें को रोजमार्ग के मार्ग प्रशस्त करने होंगे। रेलवे की सुविधाएं, ट्रेनाें में वृध्दि करानी होगी। यहीं नही उदयपुर-अहमदाबाद ब्रोडगेज बिछाने का कार्य शीघ्र शुरू करवाने, मावली, नाथद्वारा , मारवाड जंक्शन के टे्रक को गेज परिवर्तन करा नाथद्वारा स्टेशन को भी शहर के नजदीक लाने का कार्य भी कराना होगा। नाथद्वारा से गंगापुर होकर टोडा रायसिंह रेलमार्ग का सर्वे करा मार्ग की स्वीकृति दिला जनता को नया रेल मार्ग उपलब्ध कराने में भी काफी महनत करनी पडेगी। यदि यह मार्ग स्वीकृत हो जाता है तो इधर से उदयपुर-जयपुर की दूरी 45 किमी कम पडेगी। बांसवाडा में भी रतलाम से ब्रॉडगेज पहुंचानी होगी। उदयपुर से नाथद्वारा होकर ब्यावर सडक मार्ग को फोर लेन की स्वीकृति मिल चुकी है। जल्दी पूरा करा नाथद्वारा से भीलवाडा मार्ग को फोरलेन कर दिल्ली तक फोरलेन सुविधा उपलब्ध कर सकते हैं। आईआईटी के लिए मेवाड के लोग संघर्ष करते रहे उदयपुर के लिए उन्होने प्रजेंटेशन दिए है अब इसकी मंजूरी दिला उदयपुर के स्वर्णिम इतिहास में एक ओर पन्ना जोड कर आने वाली पीढी को हमेशा-हमेशा के लिए शिक्षित होकर कस्बे-प्रदेश का नाम रोशन करने की प्रेरणा देने का मार्ग प्रशस्त करेंेगे। सीपी जोशी राजस्थान में पंचायती राज ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं। उन्होने स्वयं प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सपनाें को पूरा करने ग्राम सभाआें के जरिये विकास कार्यों को अंजाम दिया है। लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान राहुल गांधी भी कहते रहें है कि केन्द्र से भेजे रुपए गांवों के विकास में पूरे नहीं लगते हैं इसे ध्यान में रखकर ऐसी नीति बनानी होगी कि गरीब को सीधा लाभ मिले। जोशी हमेशा नरेगा में रोजगार के दिन दुगुने करने और मजदूरी 150 रुपए करने की बात कहते रहे हैं। चुनावी वादे तो पांच साल में कभी भी पूरे कर सकते हैं किन्तु राजस्थान में अकाल के हालात को देखते हुए यह निर्णय जल्द से जल्द लेकर आम गरीब को लाभ पहुंचाना होगा।

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