राजसमन्द। अणुव्रत विश्व भारती राजसमन्द के तत्वावधान में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय ज्ञानशाला शिविर के समापन समारोह के अवसर पर समणी योति प्रज्ञा ने कहा कि मानव जीवन का महत्वपूर्ण भाग है बचपन। मेरी मान्यता है कि जो अच्छा इंसान बन जाता है वह सब कुछ बन जाता है। उन्होने कहा कि विद्यार्थी के सादा जीवन उच्च विचार, समय, एकता, शक्ति, अनुशासन, साहब व बडाें के काम में हस्तक्षेप न करने पर प्रकाश डाला। महामंत्री संजय जैन ने समणीवृन्द का स्वागत अभिनन्दन किया। शिविर निदेशक प्रकाश तातेड ने शिविर कार्यक्रमो व प्रतियोगिताआें पर विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय ज्ञानशाला प्रशिक्षक निर्मल नवलखा ने समणी योतिप्रज्ञा, हंसप्रज्ञा, प्रवणप्रज्ञा एवं दिव्यप्रज्ञा का परिचय दिया। कार्यक्रम में समणी द्वय द्वारा आओ ज्ञानशाला पाओ संस्कार मंगलगीत प्रस्तुत किया। शिविर निदेशक प्रकाश तातेड के मार्ग दर्शन में उद्धोष लेखन एवं चित्र बनाओं प्रतियोगिता हुई। चतुर कोठारी एवं साबिर शुक्रिया के निर्देशन में शिविर अनुभव लेखन के साथ प्रतियोगिताआें के परिणामों की घोषणा की गई जिसमें आशुभाषण में पूजा दक प्रथम, प्रज्ञा दुग्गड द्वितीय तथा प्रज्ञा शाह तृतीय रही। जेके टायर इंडस्ट्रीज के मानव संसाधन प्रबन्धक नरेन्द्र निर्मल द्वारा शिविरार्थियों के मध्य व्यक्तित्व विकास में क्रोध नियंत्रण पर मनोवैज्ञानिक ढंग से परिचर्चा, राष्ट्रीय ज्ञानशाला प्रभारी निर्मल नवलखा ने प्रशिक्षकाें के मध्य साधुत्व जीवन और श्रावकर् कत्तव्य पर विचार रखे। साबिर शुक्रिया द्वारा फिल्म शो प्रदर्शन दिया गया। समापन समारोह में प्रतियोगियों व शिविरार्थियाें को प्रमाण पत्र निर्मल नवलखा ने वितरित किए। पुरस्कार आचार्य महाप्रज्ञ के सान्निध्य में लाडनूं नागोर में प्रदान किए जाएंगे। शिविर में अणुव्रत बालोदय के मंत्री अशोक डूंगरवाल ने भी विचार व्यक्त किए। शिविर संयोजक मदन धोका ने आभार व्यक्त किया।
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