राजसमन्द। साध्वी सोमलता ने कहा कि वर्तमान युग की वलन्त समस्या हे संस्कार हीनता। संस्कार हीनता जीवन सुगंधित शव की तरह होता है। बचपन में बोये हुए संस्काराें के बीच व्यक्ति को सदाचारी बनाते हैं। उपरोक्त विचार उन्होने नमाणा में आयोजित पंच दिवसीय बाल शिविर में व्यक्त किए। चार सत्राें में विभाजित शिविर में साध्वी कांतयशा ने संस्कार सप्तक व नमस्कार मुद्रा, प्रेक्षाश्री ने तेरापंथ के आचार्यों व साध्वी प्रमुखा के बारे में तथा साध्वी संचित यशा ने प्राथमिक जैन तत्वबोध का प्रशिक्षण दिया। साध्वी शकुन्तला कुमारी ने व्यावहारिक जीवन से संबंधित रोचक जानकारियां दी। इसके साथ ही दो दिवसीय महिला चित्त समाधि शिविर भी आयोजित हुआ। महिलाआें को सहनशीन एवं अध्यात्म जीवन जीने के गुर साध्वी श्रीकान्त यशा एवं प्रेक्षाश्री ने बताए। बच्चाें के उत्साहवर्धन में स्थानीय मांगीलाल, भंवरलाल, पूनमचंद व सोहनलाल की सहभागिता रही।
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