राजसमन्द। मुनि तत्वरुचि तरूण ने कहा कि समस्या दुख नहीं है। समस्या और दु:ख दोनों अलग-अलग है। समस्या आने पर व्यक्ति दुखी हो जरूरी नहीं। सोच सकारात्मक है तो स्थितियां चाहे कैसी भी हो व्यक्ति को दुखी नहीं बना सकती है। समस्या परिस्थिति सापेक्ष है जबकि दुख का सम्बन्ध संवेदन से है। यह विचार उन्होंने किशोर नगर स्थित चंदन निवास पर धर्म सभा में व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि समस्या के प्रति हमारा दृष्टिकोण सम्यक हो। समस्याग्रस्त आदमी सोचे कि समस्या मेरे पास समाधान पाने के लिए आयी है। मुझे योग्य समझकर आयी है अत: इससे दुखी होने की जरूरत नहीं बल्कि इसे सुअवसर समझकर अपनी योग्यता को परखने का प्रयास करना चाहिए। मुनि तत्वरुचि ने जीवन में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला समझ और साहसपूर्वक करने की प्रेरणाा देते हुए कहा कि जो डर गया सो मर गया। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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