Thursday, December 18, 2008

विवेक जगने पर ही आनंद की प्राप्ति

राजसमन्द जिले के नाथद्वारा नगर में सुप्रसिद्ध भागवत कथा मर्मज्ञ पं. मदनमोहन शर्मा ने कहा कि जो बाहरी वस्तु, व्यक्ति, पद, प्रतिष्ठा, धन आदि से मिलता है वह सुख और जो अन्दर से उत्पन्न होता है वह आनन्द होता है। सुख का समय निश्चित होता है परन्तु आनन्द एक बार आने के बाद जाता नहीं है। पं. मदन मोहन शर्मा गुरुवार को स्थानीय उज्ज्वल वाटिका प्रांगण में सिंघवी परिवार की ओर से आयाजित सप्त दिवसीय भागवत कथा आयोजन के प्रथम दिन श्रोताओं को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति इस संसार मे ंसुख की तालश में दौड़ रहा है, भाग रहा है, परन्तु जाना कहां वह भी पता नहीं जो सुख प्राप्त होता है वह क्षणिक होता है।उन्होंने कहा कि आनन्द की प्राप्ति तभी होगी जब हमारा विवेक जाग्रत होगा और विवेक की प्राप्ति केवल सत्संग से ही प्राप्त हो सकती है। इस बीच महन्त मुरली मनोहर शरण शात्री ने श्रीनाथजी की छबि के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलित कर कथा का शुभारम्भ कराते हुए कहा कि भगवान के चरणों में पत्र, पुष्प, फल, जल चढ़ाना चाहिये। पत्र हमारे मस्तिष्क का प्रतीक है। पुष्प हमारे हृदय का प्रतीक है, फल जो है वहीं हमारा शरीर है और जल है वहीं हमारी आंखों से बहें वो आंसू है जो किसी का दुख दर्द देख कर निकलते है। ये सभी परमात्मा के चरणों में अर्पण कर देने से हमारा कल्याण हो जाता है। इससे पूर्व श्रीनाथजी मंदिर परिसर से बैण्ड की मधुर धुन के साथ भागवत पोथी की शोभायात्रा निकली जो मंदिर परिक्रमा के बाद कथा स्थल पर पहुंची।इस दौरान कथा के मुख्य यजमान सम्पतलाल सिंघवी, रूपकुमार सिंघवी, सौभाग्य मल सिंघवी, संयोजक फतहलाल पुरोहित, कृष्ण भण्डार के अधिकारी सुधाकर शात्री, संपदा अधिकारी अनिल जैन हरिवल्लभ लखोटिया, वल्लभ राठी, विरेन्द्र पुरोहित, पार्षद गोविन्द कांत त्रिपाठी, कालूलाल कुमावत, गिरिश पुरोहित, देवीलाल बापू सहित सैकड़ों श्रदालु वैष्णवजन उपस्थित रहें। आयोजकों ने बताया कि कथा का समय प्रतिदिन प्रात: 10 से 12.30 बजे तक दोपहर में 3 से 6.30 बजे तक रहेगा।

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