Tuesday, December 16, 2008

जल क्रीडा एवं कलरव से जलाशयों की रौनक बढ गई प्रवासी पक्षियों से

राजसमंद।यूरोप तथा साइबेरिया से आए प्रवासी पक्षियों का इन दिनों राजसमंद झील सहित जिले में अन्य कई स्थानों पर जलाशय पर बसेरा है। इनकी जल क्रीडा एवं कलरव से जलाशयों की रौनक बढ गई है। पक्षीविद् विभूसिंह देवगढ ने बताया कि यूरोप व साइबेरिया से आए मेहमान पक्षियों में राजहंस, कुट्ज, जल कौआ, कुरंज, क्रेन, पैलिकंस, फ्लेमिंगो, पिनटेल एवं गैडवल आदि प्रमुख हैं। दूर-दराज से आए प्रवासी पक्षियों ने राजसमंद झील के साथ ही देवगढ, भीम तथा कुंभलगढ क्षेत्र में जलाशयों में डेरा डाल रखा है। पक्षीविद् ने बताया कि राजसमंद जिले में प्रवासी पक्षी नवम्बर के अंतिम सप्ताह से आने शुरू हो जाते हैं और ये फरवरी के अंत तक यहीं डेरा डाले रहते हैं। प्रवासी पक्षियों के यहां आने के मुख्य दो कारण प्रमुख हैं। पहला यूरोप व साइबेरिया में इन दिनों पडी रही सर्दी से निजात पाना। दूसरा प्रवासी पक्षियों के लिए यह प्रजनन का उत्तम समय है व यहां की दशाएं इसके अनुकूल है। इन्हीं चार माह में ये पक्षी बच्चों को जन्म देते हैं। बाद में बच्चों को लेकर अपने वतन को लौट जाते हैं। पक्षीविद् दिनेश श्रीमाली ने बताया कि इस बार जून में भी यहां बडी संख्या में फ्लेमिंगो आए थे। वर्तमान में कुट्स व जल कौआ बडी संख्या में मौजूद हैं। सर्दी शुरू होते ही कुम्भलगढ अभयारण्य के ठण्डी वेरी एनीकट पर प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाल दिया है। हिमालय, साईबेरिया, मंगोलिया सहित अन्य ठण्डे देशों के पक्षी यहां करीब तीन माह के प्रवास पर आए हैं। इनमें सफेद बुज, करछिया बगुला, नकटा, जाघिल, सारस, गजपांव, पनकुआ, चमचा, टिकरी, पनडुब्बी, गुगरल आदि प्रमुख हैं। पर्यावरण प्रेमी बिशनसिंह राणावत व कुबेरसिंह सोलंकी ने बताया कि सिलसिला यहां वर्षो से चल आ रहा है।मंगलवार सुबह छह बजे कुम्भलगढ अभयारण्य देखने गए फ्रांस के पक्षी प्रेमी माइक ने बताया कि अभयारण्य व ठण्डी वेरी एनीकट पर टिकल ब्ल्यू, हॉक ईगल, ग्रेजंगल फाउल, ब्लेक क्रेस्टर वंटिंग, टोनीबेली बब्लर, वुडपेकर, ग्रीन मुनिया सहित कई पक्षी देखे गए। माइक ने बताया कि अभयारण्य में बहुत दुर्लभ पक्षी टोनीबेली बब्लर है, जो आसानी से नहीं दिखता है।

No comments: