विधानसभा चुनाव में राजसमन्द जिले में भाजपा का चार में से तीन सीटें पर कब्जा भले ही हो गया है लेकिन चुनाव विश्लेषकें का मानना है कि पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा का जनाधार तीन सीटें पर काफी कम रहा।चुनाव विश्लेषकें के मुताबिक वर्ष 2003 में राजसमन्द विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी बंशीलाल खटीक ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बंशीलाल गहलोत को 26 हजार 945 वोटो से पराजित किया जबकि इस बार के चुनाव में भाजपा की किरण माहेश्वरी ने निकटतम प्रत्याशी हरिसिंह राठौड को मात्र पांच हजार 458 वोटें से हराया। पिछले चुनाव के मुकाबले किरण माहेश्वरी को 21 हजार 487 मत कम मिले। भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष होने तथा अपने सांसद काल में अधिकांश समय राजसमन्द क्षेत्र के लोगें के मध्य गुजारने से यह माना जा रहा था कि राजनीति मे नए चेहरे कांगेस प्रत्याशी हरिसिंह राठौड को भारी मतें से पराजित करेगी लेकिन चुनाव से एन तीन-चार दिन पूर्व कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जीत के प्रति ललक और किरण के राजसमन्द इत्तर प्रत्याशी होने से बड़ी जीत के मंसूबे धरे रह गए। भीम विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी हरिसिंह रावत ने 2003 के चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंद्वी लक्ष्मण सिंह रावत को 19 हजार 161 मतों से पराजित किया। इस चुनाव में भी हरिसिंह और लक्ष्मण सिंह आमने सामने थे लेकिन हरिसिंह की जीत का अंतर मात्र 730 मतों पर आ गया। पिछले चुनाव के मुकाबले हरिसिंह रावत का क्षेत्र में जनाधार 18 हजार 431 मत कम हुआ है।कुम्भलगढ क्षेत्र में सुरेन्द्र सिंह राठौड ने वर्ष 2003 के चुनाव में कांग्रेस के निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के हीरालाल देवपुरा को 25 हजार 700 मतों से पराजित किया। इस चुनाव में सुरेन्द्र सिंह राठौड कांग्रेस प्रत्याशी गणेश सिंह से चार हजार 174 मतें से पराजित हो गए। चुनाव विश्लेषकें के मुताबिक सुरेन्द्र सिंह राठौड का जनाधार 29 हजार 874 मत कम हुआ है। इसी प्रकार नाथद्वारा विधनासभा क्षेत्र में वर्ष 2003 में डॉ सीपी जोशी ने दस हजार पांच सौ मतों से निकटतम प्रत्याशी को हराया। इस बार कांग्रेस के भाजपा प्रत्याशी से मात्र एक वोट से हारे है।
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