Saturday, December 13, 2008

विवेक से ही मनुष्य दुनियां का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है : मुनि तत्वरूचि

राजसमंद। मुनि तत्वरूचि ने कहा कि धर्म विवेके में है। विवेक का अर्थ है उचित अनुचित का भेद करना। जिसमें यह भेद ज्ञान नहीं वह करणीय में प्रवृत और अकरणीय से निवृत नहीं हो सकता। विवेक से ही मनुष्य दुनियां का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।उक्त विचार मुनि ने भिक्षु बोधि स्थल में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित महिला कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्हेने कहा पढ़ लिखकर कोई विद्वान तो बन सकता है लेकिन विवेकवान नहीं। विवेक अन्तस् चेतना की स्फुरणा है। मुनि ने कहा जीवन में संसार का वैभव तो सुलभ है परन्तु विवेक का वैभव दुर्लभ है। विवेकवान दुनियां का सबसे बडा धनवान है। केवल पढाई से पंडित नहीं बनता विवेक होने पर पंडित कहलाता है। उन्होने कहा विवेक शून्य धर्म निरर्थक है। धर्म विवेक में निहित है। जीवन में शिष्टता और विशिष्टता की प्राप्ति के लिए विवेक की जागृति जरूरी है। इस अवसर पर मुनि भवभूति और मुनि विकास कुमार ने भी विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष लाड मेहता ने बताया कि रविवार को प्रातः साढे नौ बजे महिला कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।उन्होनें बताया कि केन्द्र द्वारा निर्धारित तत्वज्ञान व तत्व दर्शन के पंच वर्षीय कोर्स की परीक्षाएं भिक्षु बोधि स्थल में 19 एवं 21 दिसम्बर को प्रातः दस से एक बजे तक होगी।

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