Tuesday, December 2, 2008

वोट भी आपका देश भी आपका``

राजसमन्द। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है और लोकतंत्र में जनता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सरकार बनाती है। इसलिए कहा भी गया है जनता द्वारा जनता के लिए होने वाली शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक प्रणाली है। दो सौ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रो वाली राज्य की तेरहवी विधानसभा के लिए 4 दिसम्बर को होने वाले चुनाव में गत 2003 के हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार डेढ गुना अधिक उम्मीद्वार चुनाव मैदान में यह लोकतंत्र को मजबूत बनाने के साथ सुशासन व्यवस्था को इंगित करता है।
भारत निर्वाचन आयोग भी उम्मीद्वारों के सही चयन को लेकर मतदाताओं को भ्रमित होने से बचाने एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिए प्रतिबद्व है तथा आदर्श आचार संहिता का पालन कराने के साथ चुनाव को पारदर्शिता पूर्वक सम्पन्न कराने के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए है।
इस देश का मतदाता अब यह समझने लग गया है कि किस उम्मीद्वार का चयन करना है। अब वह किसी प्रलोभन अथवा बहकावें में नही आता। वह जानता है कि उसका एक मत बहुत कीमती है। अब चाहे अनपढ़ हो अथवा पढ़ा लिखा व्यक्ति चुनाव के अर्थ को बहखुबी समझने लग गया है। यह प्रजातांत्रिक देश में महत्वपूर्ण भी है और इसी पर देश का विकास निर्भर है।
राजस्थान के गत विधानसभा चुनाव में एक हजार 541 उम्मीद्वार खडे हुए थे इस बार के विधानसभा आम चुनाव में 2 हजार 194 उम्मीद्वार अपना भाग्य आजमा रहे है। जिनके विजय होने का फैसला प्रदेश के लगभग पौन 4 करोड़ मतदाता करेगें।
भारत निर्वाचन आयोग ने पुरानी बैलेट पेपर सील लगाने की चुनावी व्यवस्था में सुधार कर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से मतदान कराना प्रारंभ किया है जिसमें अब वोट खारिज नही होते तथा मतदान प्रक्रिया भी सरल हुई है। वही गणना भी शीघ्र हो जाती है इस मतदान प्रक्रिया का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ। जिससे अब मतदाता समझने लग गए है कि अपने उम्मीद्वार के प्रतीक चिन्ह के पास लगे बटन को दबाते है तो एक लम्बी बीप की आवाज आई कि समझो हो गया मतदान.........
मतदान के जरिए उम्मीद्वारों का चयन और बनने वाली सरकार विकास की विभिन्न योजनाएं सही बनाएं और यह अमलीजामा सहायक सिद्ध हो इसके लिए उम्मीद्वार भी शिक्षित एवं एक निर्धारित मापदण्ड की शिक्षा के आधार पर यदि आगे आने लगे हो विकास की रफ्तार और तेज हो जाती है। लेकिन पढ़ा लिखा तो हो यदि वह समझदार नही हो तो भी बात नही बनती इसीलिए कहा गया है पढ़ा नही तो क्या दिमाग तो है, लेकिन यहंा यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि शिक्षा जीवन में व्यक्तितत्व विकास की धूरी है। राजनीति में भी चयन करते हुए मतदाता इस बात का ध्यान रखे कि अपने कीमती वोट से सही उम्मीद्वार का चयन करें। मतदान के इस चुनावी अनुष्ठान में हर मतदाता मत देकर प्रजातांत्रिक प्रणाली को मजबूत बनाएं और यह हर मतदाता का कत्तZव्य भी है..............
क्योंकि वोट भी आपका देश भी आपका।

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